परमार्थ निकेतन आये जी-20 प्रतिनिधिमंडल के सदस्य,भारतीय संस्कृति, योग, ध्यान और दर्शन के विषय में प्राप्त की जानकारी

ऋषिकेश। उत्तराखंड में जी-20 के सफलतापूर्वक समापन के पश्चात जी-20 प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्य परमार्थ निकेतन आये। परमार्थ प्रतिनिधि गंगा नन्दिनी त्रिपाठी जी ने परमार्थ निकेतन में होने वाली विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियों के विषय में जानकारी प्रदान की। साथ ही स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के मार्गदर्शन में वैश्विक स्तर पर चलाये जा रहे विभिन्न अभियानों व पहलों के विषय में विस्तार से चर्चा की। भारतीय संस्कृति ऐसे सिद्धांतों पर आश्रित है जो प्राचीन होते हुए भी नूतन हैं; उसमें आध्यात्मिकता और वैज्ञानिकता का अद्भुत समन्वय है। ये सिद्धांत किसी देश या समुदाय के लिये नहीं अपितु समस्त मानव जाति के कल्याण के लिये हैं। भारतीय संस्कृति वास्तविक अर्थ में मानवता की संस्कृति है। युगों-युगों से भारतीय संस्कृति मानवता के सिद्धांतों पर आश्रित होने के साथ ही अपने अस्तित्व को सुरक्षित रखे हुये समृद्ध बनी हुई है। गंगा नन्दिनी जी ने परमार्थ निकेतन में होने वाले विश्व शान्ति यज्ञ और गंगा आरती के माध्यम से वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण, ग्लोबल वार्मिग, क्लाइमेंट चेंज और अन्य समसामयिक समस्याओं पर विचार विमर्श और चिंतन किया जाता है। उन्होंने बताया कि हवन और गंगा आरती के माध्यम से स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी द्वारा दिये गये उद्बोधनों ने अनेकों के जीवन में विलक्षण परिवर्तन किया है तथा भारत की विभिन्न नदियों के तटों पर सायंकाल आरती का क्रम आरम्भ हुआ है। उन्होंने बताया कि गंगा सहित अन्य नदियों की आरती से तात्पर्य आस्था के साथ व्यवहार परिवर्तन करना; प्रकृति और पर्यावरण के अनुकूल जीवन जीने के लिये प्रेरित करना। भारतीय संस्कृति अद्भुत है इसी के आधार पर भारतीय समाज अपने आदर्शों व जीवन मूल्यों का निर्धारण करता है। भारत की विविधता ही उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। भारतीय संस्कृति जीवन को व्यवस्थित करने के साथ ही ‘आत्मिक सौंदर्य’ के भी दर्शन कराती है। भारतीय संस्कृति समस्त मानवता का कल्याण चाहती है। हम वसुधैव कुटुम्बकम् के दिव्य सूत्र को जीते हैं जिसके दर्शन वर्तमान समय में पूरी दुनिया कर रही है। ब्रैम वान ओश, नीदरलैंड, एलोनोरा फोर्नासारी, बेल्जियम, एना सैंटोस, बेल्जियम, जोशुआ डक्सबरी, लंदन, यूके, मेलिसा मारिन, मैड्रिड, स्पेन आदि अन्य प्रतिनिधियों ने परमार्थ निकेतन में गंगा नन्दिनी त्रिपाठी जी के मार्गदर्शन में विश्व ग्लोब का अभिषेक किया।

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