समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए तैयार हो रही ड्राफ्ट रिपोर्ट 

देहरादून । उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए तैयार हो रही ड्राफ्ट रिपोर्ट प्रदेश सरकार को शुक्रवार को नहीं सौंपी जा सकी। ड्राफ्ट कमेटी की सदस्य जस्टिस(रिटायर्ड) रंजना प्रसाद देसाई ने आज दिल्ली में इस संबंध में मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि उत्तराखंड के प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा अब पूरा हो गया है। ड्राफ्ट के साथ विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जल्द ही मुद्रित की जाएगी और उत्तराखंड सरकार को सौंपी जाएगी। माना जा रहा है कि एक पखवाड़े के भीतर समिति सरकार को रिपोर्ट सौंप देगी। उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का ड्राफ्ट तैयार करने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। विशेषज्ञ समिति ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने में जुटी हुई थी। मई 2022 में समिति का गठन हुआ था। गठन से लेकर अब तक समिति ढाई लाख से अधिक सुझाव ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त कर चुकी है। सभी 13 जिलों में हितधारकों के साथ सीधे संवाद कर चुकी है। नई दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों से भी चर्चा हो चुकी है।

यूसीसी पर भारत के संविधान की मूल भावना के अनुरूप ही निर्णय होने हैं। समिति इस पर काम कर रही है। सबके हित में निर्णय आएगा। उत्तराखंड से इसकी शुरुआत हुई है। देवभूमि इसकी अगुआई कर रही है। हमारी यह अपेक्षा है कि आने वाले समय में देश भर में यूसीसी लागू हो।

पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूसीसी को लेकर जिस स्पष्टता के साथ समूचे देश के सामने पार्टी का नजरिया पेश किया है, उससे प्रदेश भाजपा संगठन व सरकार का हौसला चरम पर है। जल्द रिपोर्ट सरकार को मिल जाएगी। उत्तराखंड में यूसीसी हर हाल में लागू करेंगे।

महेंद्र भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

समान नागरिक संहिता से आएगा इन मामलों पर असर

  • शादी की उम्र: यूसीसी में सभी धर्मों की लड़कियों की विवाह योग्य उम्र एक समान करने का प्रस्ताव है। पर्सनल लॉ और कई अनुसूचित जनजातियों में लड़कियों की विवाह की उम्र 18 से कम है। यूसीसी के बाद सभी लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ सकती है।
  • विवाह रजिस्ट्रेशन : देश में विवाह को पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं है। यूसीसी में सुझाव है कि सभी धर्मों में विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। इसके बिना सरकारी सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा।
  • बहुविवाह : कई धर्म और समुदाय के पर्सनल लॉ बहुविवाह को मान्यता देते हैं। मुस्लिम समुदाय में तीन विवाह की अनुमति है। यूसीसी के बाद बहु-विवाह पर पूरी तरह से रोक लग सकती है।
  • लिव इन रिलेशनशिपः इसके लिए घोषणा करने के बाद अभिभावकों को भी बताना होगा। इसके साथ सरकार को ब्योरा देना जरूरी हो सकता है।
  • हलाला और इद्दत खत्म: मुस्लिम समाज में हलाला और इद्दत की रस्म है। यूसीसी के कानून बनाकर लागू किया तो यह खत्म हो जाएगा।
  • तलाक : तलाक लेने के लिए पत्नी व पति के आधार अलग-अलग हैं। यूसीसी के बाद तलाक के समान आधार लागू हो सकते हैं।
  • भरण-पोषण: पति की मौत के बाद मुआवजा राशि मिलने के बाद पत्नी दूसरा विवाह कर लेती है और मृतक के माता-पिता बेसहारा रह जाते हैं। यूसीसी का सुझाव है कि मुआवजा विधवा पत्नी को दिया जाता है, तो बूढ़े सास-ससुर के भरण पोषण की जिम्मेदारी भी उस पर होगी। वह दूसरा विवाह करती है तो मुआवजा मृतक के माता-पिता को दिया जाएगा।
  • गोद लेने का अधिकार: यूसीसी के कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा।
  • बच्चों की देखरेख : यूसीसी में सुझाव है कि अनाथ बच्चों की गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान व मजबूत बनाया जाए।
  • उत्तराधिकार कानून: कई धर्मों में लड़कियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार हासिल नहीं है। यूसीसी में सभी को समान अधिकार का सुझाव है।
  • जनसंख्या नियंत्रण: यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का भी सुझाव है। इसमें बच्चों की संख्या सीमितकरने, नियम तोड़ऩे पर सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित करने का सुझाव है।

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