सदियों से वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा पर चल रहा भारत

पिछले दिनों उत्तराखंड के हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान, कांवड़ियों और एक कार चालक प्रताप सिंह से इस कारण विवाद हो गया कि प्रताप सिंह जो कार चला रहे थे, वो कांवड़ से टकरा गई और जिसके कारण कांवड़ खंडित हो गई जिसके चलते कार चालक प्रताप सिंह और यात्रा में शामिल कांवड़ियों के मध्य विवाद हो गया।
मामला यहीं नहीं खत्म हुआ घटना की वीडियो वायरल हुई तो भारत में बैठे और अन्य भारत विरोधी भारत को बदनाम करने की मुहिम चलाने वाले, ‘भारत में मुसलमान खतरे में’ हैं का नैरेटिव  चलाने वाले सक्रिय हो गए। घटना को हिंदू मुस्लिम का मामला बता कर सांप्रदायिक अभियान चलाने वाले सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार करने लगे, जबकि सामान्य अपराधिक घटना का दूर-दूर तक मुस्लिम समुदाय से कोई संबंध नहीं था।
इस घटना की सच्चाई ये है कि प्रताप सिंह और कांवड़ियों के बीच हरिद्वार के मंगलोर थाने के गुड मंडी के पास झड़प हुई थी। प्रताप सिंह अपनी एक मुस्लिम महिला साथी के साथ कही जा रहे थे और उनकी गाड़ी किसी कांवड़िए से हल्की सी टकरा गई और गंगाजल बिखर गया। जिसके बाद उनकी झड़प कांवड़ियों से हुई और उनकी गाड़ी कांवड़ियों ने पलट दी। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर बल प्रयोगकर कांवडियो को तितर-बितर की और बाद में इस मामले में भूपेंद्र और संदीप नाम के दो लोगो के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की। दोनो आरोपित के खिलाफ कार्यवाही कर उनका चालान भी किया गया।
इन दिनों विश्व मुस्लिम लीग के महासचिव और सऊदी सरकार के पूर्व कानून मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल ईसा छः दिवसीय भारत दौरे पर आए हुए हैं। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ‘भारत ने हिंदू बहुल राष्ट्र होने के बाद भी धर्मनिरपेक्ष संविधान अपनाया’। उन्होंने भारत के इतिहास और विविधता की सराहना करते हुए कहा कि विभिन्न संस्कृतियों में संवाद स्थापित करना समय की मांग है। भारत ने पाकिस्तान के उस प्रस्ताव का संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में समर्थन किया है, जिसमें स्वीडन समेत कई यूरोपिय देशों में कथित रूप से कुरान की बेअदबी करने की निंदा की गई है।
इन सब घटनाओं को उल्लेखित करने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि, भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र है, जो सदियों से ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की अवधारणा पर चलते हुए मानवीय मूल्यों को संरक्षित कर रहा है। भारत ही विश्व का एकमात्र ऐसा देश है, जहां अस्सी प्रतिशत हिंदू आबादी होने के बाद भी देश का संविधान पंथ निरपेक्ष है, जहां सभी धर्मों के लोगों को समान रूप से अधिकार प्राप्त हैं। निश्चित रूप से भारत सदियों से मानवीय मूल्यों के संरक्षण पर कार्य करता चला आ रहा है और केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी किसी भी धर्म और जाति के पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने के लिए भारत ने आवाज उठाई है।

प्रस्तुतिः- अमन रहमान

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