श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया परमहंस स्वामी योगानंद का आर्विभाव दिवस

  • परमहंस स्वामी योगानंद का 131वां आर्विभाव दिवस 

देहरादून: विश्व के जाने माने संत और क्रिया योग की अलख जगाने वाले परमहंस योगानंद के 131 वें आर्विभाव दिवस पर राजधानी में उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया।

योगदा सत्संग ध्यान केंद्र में आयोजित कार्यक्रम सबसे पहले दो घंटे का ध्यान किया गया है। इसके साथ ही प्रसिद्ध फिल्म अवेक को भी दिखाया गया है। यहां पर भक्तों को परमहंस स्वामी योगानंद के महान और दिव्य जीवन के बारे में बताया गया। कहा गया कि स्वामी योगानंद ईश्वर की कृपा और एक मिशन को जमीन पर उतारने के लिए काम किया है। गोरखपुर में भगवतीचरण घोष व माता ज्ञानप्रभा घोष के यहां उनका जन्म हुआ। संन्यास पूर्व उनका नाम मुकुंद लाल घोष था। उनकी आत्मकथा दुनिया में सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक है। वह अपने गुरु स्वामी युक्तेश्वर गिरी के आदेश पर संन्यस्त हो गए। इसके बाद उनका नाम स्वामी योगानंद गिरि हो गया। अमेरिका में जाकर उन्होंने वहां पर भारतीय अध्यात्म का परचम फैलाया। समूचे पाश्चात्य जगत को भारत के योग व महान विरासत की जानकारी दी। क्रियायोग का ज्ञान दिया।

उन्होंने कहा कि स्वामी योगानंद ने पूर्व व पाश्चात्य जगत के मध्य समन्वय की बात कही। उनके द्वारा महात्मा गांधी को भी क्रिया योग की जानकारी दी गई। अमेरिकावासियों को उनके द्वारा योग का ज्ञान दिया गया। उनके शिष्यों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 मार्च 2017 को योगदा सत्संग सोसायटी आफ इंडिया की सौंवी वर्षगांठ के अवसर पर डाक टिकट जारी किया। कार्यक्रम में सभी ने परमहंस योगानंद जी का भावपूर्ण स्मरण किया। उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। अंत में भक्तों को गुरु का लंगर परोसा गया। सभी ने लंगर का आनंद दिया। एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। गुरुजनों व परमहंस स्वामी योगानंद के बताए मार्ग पर चलने की बात कही।

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