दिल्ली केदारनाथ मंदिर विवाद, तीर्थ पुरोहितों का प्रदर्शन जारी

  • सरकार की ‘बुद्धि-शुद्धि’ के लिए बजाया डमरू

रुद्रप्रयाग । दिल्ली के बुराड़ी में बन रहे केदारनाथ धाम के प्रतिकात्मक मंदिर निर्माण का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। केदारनाथ धाम में आंदोलन के तीसरे दिन तीर्थ पुरोहित समाज, साधु संत एवं व्यापारियों ने दिल्ली में केदारनाथ मंदिर को लेकर प्रदर्शन कर धरना दिया। इस दौरान जहां साधु-संतों ने सरकार की बुद्धि-शुद्धि को लेकर जोर-जोर से डमरू बजाया। वहीं तीर्थ पुरोहितों ने बीकेटीसी अध्यक्ष के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए इस्तीफे की मांग भी की।

गत दस जुलाई को दिल्ली के बुराड़ी में हुए केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास के बाद से केदारघाटी से लेकर केदारनाथ धाम में आक्रोश बना हुआ है। केदारघाटी के जगह-जगह तीर्थ पुरोहित समाज के साथ स्थानीय लोग मंदिर निर्माण का विरोध कर रहे हैं। वहीं केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहित समाज, व्यापारी और साधु संत केदारपुरी में प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। आंदोलन के तीसरे दिन पूर्व केदारसभा अध्यक्ष किशन बगवाड़ी के नेतृत्व में केदारपुरी में प्रदर्शन कर मंदिर परिसर में धरना दिया गया।

इस दौरान बीकेटीसी अध्यक्ष के खिलाफ भी तीर्थ पुरोहित जमकर बरसे और शीघ्र इस्तीफे की मांग की। इस मौके पर केदारसभा के पूर्व अध्यक्ष किशन बगवाड़ी एवं वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण की पूरा विश्व निंदा कर रहा है। गौ कथा वाचक गोपाल मणि महाराज कह रहे हैं कि भगवान शंकर अब दिल्ली में अवतरित हो गए हैं। ऐसा लगता है कि अब वे दिल्ली में भी गौशाला चलाने जा रहे हैं। कहा कि मुख्यमंत्री को इस मामले में खंडन करना चाहिए।

केदारनाथ के व्यापारी विनीत पोस्ती ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की स्थापना की जा रही है। मनुष्य ने महादेव को पलायन की ओर भेज दिया है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम ट्रस्ट दिल्ली की ओर से जारी पत्र में लिखा गया है कि किसी भी जाति और धर्म के लोग ट्रस्टी बन सकते हैं। केदारनाथ धाम को धर्म, जाति के नाम पर बांटने का प्रयास किया जा रहा है। इससे साफ है कि ट्रस्ट सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए मंदिर का निर्माण करवा रहा है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ नाम की जगह शिव मंदिर का निर्माण करने पर किसी को भी कोई आपत्ति नहीं है। बाबा केदारनाथ धाम का उपयोग इस प्रकार किए जाने पर बीकेटीसी को कार्रवाई करनी चाहिए।

मामले में बदरी-केदार मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने भी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि केदारनाथ धाम ट्रस्ट दिल्ली से सरकार का कोई लेना देना नहीं है। उत्तराखंड प्रवासियों और साधु-संत समाज के बुलावे पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने गए थे। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट और मंदिर निर्माण से बीकेटीसी और सरकार का कोई मतलब नहीं है। कतिपय शिकायतें आ रही हैं कि केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के नाम पर दान-चंदा लिया जा रहा है। इन धामों का ऐप बनाकर हॉस्पिटल, मंदिर निर्माण को लेकर श्रद्धालुओं से चंदा मांगा जा रहा है। धामों के व्यावसायिक लाभ के लिए मंदिर का फोटो और वीडियो उपयोग में लाया जा रहा है। इन मामलों में जांच करते हुए विधिक कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।

केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर का निर्माण दिल्ली में किए जाने की खबरों को लेकर केदार सभा के प्रतिनिधियों ने उप जिलाधिकारी ऊखीमठ के साथ बैठक आयोजित की। इस दौरान प्रतिनिधियों ने कहा कि हिमालय की गोद में बसे भगवान शिव के प्रिय निवास स्थान केदारनाथ जैसा धाम कहीं और बनना संभव नहीं है। धाम का निर्माण अन्यत्र कहीं भी किए जाने का पुरजोर विरोध करने का संकल्प लिया गया।

उप जिलाधिकारी ऊखीमठ अनिल कुमार शुक्ला ने बताया कि विभिन्न तरह की मीडिया प्लेटफार्म में श्री केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर का निर्माण दिल्ली में किए जाने की खबरों को लेकर स्थानीय तीर्थ पुरोहितों सहित चारधाम महापंचायत, केदार सभा, व्यापारियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा आक्रोश व्यक्त किया गया था। उन्होंने बताया कि आज केदार सभा के पदाधिकारियों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित की गई। जिसमें केदार सभा के प्रतिनिधियों द्वारा केदारनाथ मंदिर का अन्यत्र निर्माण का पुरजोर विरोध किया गया।

उप जिलाधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि केदारसभा के प्रतिनिधियों द्वारा केदारनाथ धाम की शिला को दिल्ली में स्थापित कर परंपरा के साथ खिलवाड़ बताते हुए उनका एक दल प्रदेश के मुख्यमंत्री से भी मिलकर आया है, जिसमें मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें सकारात्मक आश्वासन दिया गया है, जिससे वो काफी संतुष्ट नजर आए। इसके अलावा बदरी-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा भी इसके कानूनी पहलुओं पर गहनता से विचार किया जा रहा है।

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