हम उत्तराखंडवासी पीढ़ियों से पर्यावरण के संरक्षक हैंः मुख्यमंत्री

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हम अपनी सदियों पुरानी परंपरा का आज भी पालन कर रहे हैं, जो हमें सिखाती है कि हमें जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों के संग समरसता के साथ रहना चाहिये, क्योंकि ये सब भी इस धरती पर हमारे साथ ही रहते हैं। चिपको आंदोलन के नाम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर हुए इस महिला सत्याग्रह ने पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण और नारी सशक्तिकरण को नए अर्थों में परिभाषित किया। हमने हाल ही में इस आंदोलन के 50 वर्ष पूर्ण किए हैं और मैं आज इस मंच से उन सभी सत्याग्रहियों को नमन करता हूं, जिन्होंने उस समय हमारे पेड़ों को बचाया।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हल्द्वानी में जल्द ही वाइल्ड लाइफ हॉस्पिटल का शिलान्यास भी किया जाएगा। साथ ही वन विभाग के अधिकारियों को कार्य के दौरान आने वाली चुनौतियों पर कार्य करके उनके समाधान के प्रयास पर कार्य करने को कहा। उन्होंने कहा कि वन्यजीव और मानव संघर्ष के प्रकरणों पर विभाग को स्वतः ही सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुमन्य सहायता दी जानी चाहिए जिससे पीड़ित पक्ष को अनावश्यक दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़े।
केंद्रीय वन, पर्यावरणीय ,जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनि कुमार चौबे ने कहा कि प्रकृति की रक्षा करना मानव जीवन का कर्तव्य है। जब मनुष्य प्रकृति की रक्षा करेगा तो प्रकृति स्वयं ही प्राणियों की रक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि आज बाघ संरक्षण के 05 दशक पूरे किए हैं जो कि उपलब्धियों से परिपूर्ण है। पूरे विश्व के 75 प्रतिशत से अधिक बाघ भारत में पाए जाते है। उन्होंने कहा बाघों के संरक्षण संवर्धन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए वन विभाग को अत्याधुनिक उपकरणों के प्रयोग से लैस किया गया है किंतु आवश्यकता है अधिक सशक्त बनाने की। उन्होंने कहा जिस प्रकार सेना व पुलिस को उनकी वीरता के लिए पदक दिया जाता है उसी प्रकार वन विभाग को भी उनके साहसिक कार्यों के लिए वीरता पदक से राष्ट्रपति द्वारा नवाजा जाए, इस दिशा में कारगर प्रयास जारी है।
उन्होंने बाघों के महत्व के विषय मे बताया कि बाघ को स्थानीय समुदायों की आजीविका एवं सतत् विकास का प्रतीक चिन्ह माना गया है। इसे पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का संकेतक मानते हुए वैश्विक स्तर पर सतत् विकास, जैव विविधता संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन निवारण के मानक के रूप में देखा गया है।
केंद्रीय मंत्री एवम पर्यटन रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि वन्य जीव टाइगर के संरक्षण व संवर्धन के लिये 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई। कहा कि बाघों के संरक्षण व संवर्धन के लिए वित्तीय सहयोग भी किया जाएगा।
कार्यक्रम में राज्यवार बाघों के आंकड़े जारी किए गए। पूरे भारत वर्ष में 2018 की तुलना में 2022 में 715 बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 2022 के आंकड़ों के आधार पर बाघों की कुल संख्या 3682 है जो कि 2018 में 2967 थी। सर्वाधिक बाघ मध्यप्रदेश में 785 फिर कर्नाटक में 563 व उत्तराखंड में 560 बाघों की संख्या रही। जारी आंकड़ों के अनुसार उत्तरखण्ड कार्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की सँख्या बड़ी है। 2018 की तुलना में 118 बाघ बड़े है राज्य में अब कुल बाघ 560 हो गए है। वहीं कार्बेट टाइगर रिजर्व में पहले 231 बाघ जो बढ़कर 260 हो गए है।
प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी व नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री द्वारा एक चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसकी थीम थी टाइगर, द किंग ऑफ जंगल। 18 राज्यों व 02 केंद्र शासित प्रदेशों से 6892 प्रविष्टि देशभर में की गई थी जिसमें से 20 लोगों को पुरस्कृत किया गया। प्रथम तीन स्थान पर आने वालों को क्रमशः 5000 4000 व 3000 की धनराशि दी गई। प्रथम स्थान पर दिल्ली के ग्यारहवीं के युवराज द्वितीय स्थान पर दिल्ली के ही बारहवीं कक्षा के अनुराग कुमार व तृतीय स्थान पर भुवनेश्वर की 11वीं की नयनिका जीना रही।
कार्यक्रम में भारत के विभिन्न टाइगर रिजर्व से आये ईडीसी व स्वयं सहायता समूह द्वारा स्थानीय उत्पादों का स्टाल लगाकर प्रदर्शन भी किया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया, विधायक रामनगर दीवान सिंह बिष्ट, भीमताल राम सिंह, नैनीताल सरिता आर्या,यमकेश्वर रेणु बिष्ट, महानिदेशक वन सीपी गोयल, सदस्य सचिव एनटीसीए डॉ ऐस पी यादव, आईजीएफ अमित मलिक, प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक, समीर सिन्हा, कुमाऊँ मुख्य वन संरक्षक पी के पात्रो, आईजी नीलेश आंनद भरणे, डायरेक्ट कॉर्बेट डॉ धीरज पांडेय, राजाजी डॉ साकेत बड़ोला सहित अन्य वन अधिकारी उपस्थित थे।

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