मुफ्त बिजली की पैरवी पर सरकार कमजोरः आनंद 

देहरादून। आप प्रदेश प्रवक्ता रविन्द्र आनंद ने प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड सरकार मजबूत पैरवी करे तो, उत्तराखंड को हर माह 1200 मेगावाट बिजली मुफ्त मिलेगी। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उत्तराखंड की जनता को हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा कर चुके हैं और विद्युत लोकपाल सुभाष कुमार के बयान ने अरविंद केजरीवाल और कर्नल कोठियाल की उस बात पर मोहर लगा दी है जिसमें उन्होंने कहा था कि उत्तराखंड की जनता को मुफ्त बिजली देना उनका मौलिक अधिकार है।
उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में टीएचडीसी को लेकर मजबूती से अपना पक्ष रखे तो, उत्तराखंड की जनता को 1200 मेगावाट बिजली मुफ्त मिल सकती है। आप सीएम प्रत्याशी कर्नल अजय कोठियाल पहले ही इस बात को कह चुके हैं कि, उत्तराखंड की जनता को मुफ्त बिजली मिलने के साथ ही रॉयल्टी भी मिलनी चाहिए।  उन्होंने कहा अब इस मीडिया रिपोर्ट से कर्नल कोठियाल के दावे पर मोहर लग चुकी है। आप प्रवक्ता ने बताया कि टिहरी हाइड्रो प्रोजेक्ट से उत्तराखंड को 25 प्रतिशत अंशदान के रूप में मिलना था, लेकिन अब तक यह अधिकार उत्तराखंड की जनता को नही मिल सका है।
रविन्द्र आनंद ने बताया कि राज्य विद्युत लोकपाल व पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार स्वयं स्पष्ट कर चुके हैं, कि अगर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे बिजली प्रोजेक्ट वाद में राज्य सरकार जिम्मेदारी से पैरवी करे ,तो राज्य की जनता को 1200 मेगावाट बिजली प्रतिमाह मुफ्त मिल सकती है, लेकिन राज्य सरकार इस मामले में गंभीर नहीं है जबकि उत्तराखंड के प्रत्येक परिवार को यह हक मिलना ही चाहिए। यही हाल परिसंपत्तियों  के बंटवारे को लेकर है, अब तक परिसंपत्तियों पर सरकार कोई ठोस फैसला नहीं ले पाई है जबकि उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी की ही सरकारें हैं।
आप प्रवक्ता ने बीजेपी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इन दोनों ही पार्टियों ने सिर्फ प्रदेश को लूटने का काम किया है जिन्हें कभी भी जनता के मुद्दों से कोई सरोकार नहीं रहा। इन दोनों ही दलों ने सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे देखे ,इसीलिए इन्होंने कभी प्रदेश की जनता के हितों की ठोस पैरवी नहीं की। उन्होंने आगे कहा कि यूपी और उत्तराखंड में दोनों ही पार्टियों ने हमेशा भेदभाव किया । यूपी में 80 लोकसभा सीटें होने की वजह से राजनीतिक दलों ने  यूपी को ज्यादा तव्वजो दिया और महज 5 लोकसभा सीटों वाले उत्तराखंड को हमेशा राजनीतिक अवहेलना का शिकार होना पडा, जिस कारण उत्तराखंड राज्य आज भी असली विकास से कोसों दूर है।

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