जलवायु चुनौतियों को टेक्निकल इनोवेशन कैसे नए अवसरों में बदल रहे हैं : हेमिन भरूचा

नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के प्रति भारत का अग्रसक्रिय नजरिया उसके उद्देश्यों से स्पष्ट है। जलवायु परिवर्तन के लिए भारत का लक्ष्य 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने के ग्लोबल लक्ष्य के अनुरूप ही है। भारत टिकाऊ विकास से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता वाले ग्लोबल लीडर के रूप में उभर कर सामने आया है। अपने इस प्रयास के तहत भारत सरकार जलवायु-टेक्नोलॉजी स्टार्टअप को सपोर्ट करने और बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है।

इलेक्ट्रिक वाहन, स्वच्छ ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, चक्रीय्ज अर्थव्यवस्था पद्धतियों और क्लाइमेट-स्मार्ट कृषिक नवाचार जैसे क्षेत्रों में भारत की प्रगति के लिए न्याय संगत फंडिंग और सहायक बिजनेस इकोसिस्टम बहुत जरूरी हैं। हम यह मानते हैं कि इनोवेशन और स्केलेबिलिटी के मेल से ही सही परिणाम हासिल होते हैं। ऐसे में इन पहलों को सपोर्ट करने का महत्व पता चलता है। जलवायु परिवर्तन एक ग्लोबल समस्या है और भारत के जलवायु टेक्नोलॉजी सेक्टर में हो रहे विकास इस क्षेत्र की कुछ सबसे गंभीर समस्याओं का समाधान प्रदान कर रहे हैं। इससे भारतीय कंपनियों के लिए ग्लोबल मार्केट में ग्रोथ के नए अवसर भी बन रहे हैं।

पूरी दुनिया में लंदन शहर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (सतत विकास) के मामले में लीडर है। इस शहर ने पेरिस समझौते के सबसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के मुताबिक एक क्लाइमेट प्लान विकसित किया है और 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन हासिल करने और 2050 तक कचरे को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। जलवायु टेक्नोलॉजी में निवेश के मामले में 2023 में लंदन ग्लोबल स्तर पर दूसरे नंबर पर रहा। लंदन में क्लाइमेट टेक स्टार्टअप्स ने 2023 ने कुल 3.5 अरब डॉलर जुटाए हैं। जबकि 2022 में ये धनराशि 2.2 अरब डॉलर थी। क्लाइमेट टेक्नोलॉजी के लिए होने वाली फंडिंग के अभी तक के उच्चतम स्तर पर होने के कारण लंदन में कारोबारी विस्तार करने की इच्छुक अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए अपार संभावनाएं हैं।

इसके अलावा, लंदन अपने ट्रांसपोर्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को पर्यावरण के अनुकूल बनाने में निवेश कर रहा है। दिसंबर 2023 में लंदन शहर में 18,000 से ज्यादा इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) चार्ज पॉइंट थे जो पूरे यूके के बाजार हिस्सेदारी का 34% से ज्यादा है। 2034 तक शहर में 100% जीरो-उत्सर्जन करने वाले बसों के बेड़े के लक्ष्य को पूरा करने के लिए लंदन में सभी नई बसें जीरो-उत्सर्जन वाली होंगी। इंटरसिटी ट्रांसपोर्ट के लिए ई-मोबिलिटी बढ़ाने वाली कंपनियों के साथ भारत में भी इसी तरह की पहल की जा रही है। उदाहरण के लिए ज़िंगबस ने अगले 5 सालों में 2,200 इलेक्ट्रिक बसों और 4,000 इलेक्ट्रिक कारों का एक बड़ा बेड़ा बनाने की योजना बनाई है। चूंकि भारत और लंदन दोनों में सस्टेनेबिलिटी को प्राथमिकता दी जाती है, ऐसे में इसको बढ़ावा देने को लिए दोनों शहरों के हाथ मिलाने से ज्यादा बेहतर परिणाम मिलेंगे।

अपने व्यापक और सहायक क्लाइमेट टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम के साथ लंदन इस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को निवेशकों, नीति निर्माताओं, इंडस्ट्री लीडरों और शैक्षणिक संस्थानों तक पहुंच हासिल करने के लिए एक सहायक वातावरण प्रदान करता है। लंदन में कारोबार करने में आसानी से साझेदारी और सहयोग के अवसर मिलते हैं। साथ ही यहाँ वेंचर कैपिटल और निवेशकों के बड़े समूह से पूंजी जुटाने में आसानी होती है। लंदन क्लाइमेट टेक्नोलॉजी से जुड़ी प्रतिभाओं, इनोवेशन और क्रिएटिविटी के मामले में निश्चित रूप से सबसे आगे है जो नेट जीरो लक्ष्य को तेजी से हासिल करने और ग्रीन बीजनेस के ग्रोथ के लिए उत्प्रेरक का काम करते हैं।
यह स्पष्ट है कि भारत और लंदन के बीच सहयोग की काफी संभावनाएं हैं। एक साथ काम करते हुए, हम एक दूसरे की विशेषज्ञता और शक्तियों का फायदा उठाकर आसानी से जलवायु संबंधी समाधानों के विकास में तेजी ला सकते हैं और अधिक चिरस्थायी भविष्य के लिए इनोवेशन को बढ़ावा दे सकते हैं।

लेखक रीजनल डायरेक्टर – इंडिया ऐंड मिडिल ईस्ट हैं।

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