- इस्लामी शिक्षाओं को आत्मसात करने की जरूरत
- अधोईवाला में आयोजित हुआ इस्लाह-ए-मुआशरा के तहत जलसा
देहरादून। वर्तमान समय में इस्लाम और कुरआन की सही शिक्षा आम जनता तक पहुंचाने की जरूरत हैं, आखरी नबी के बारे में झूटी बातों को फैलाने से रोकने में भी उलेमाओं को अपनी जिम्मेदारी को निभाना होगा। यह बात रविवार को अधोईवाला की फिरदोस मस्जिद में जमीअत उलेमा हिन्द की गिरानी में आयोजित जलसा सिरत-उन-नबी के मौके पर देवबंद से पधारे मुफ्ति खुबेब मदनी ने कही।
उन्होंने कहा कि पैगंबर मुहम्मद साहब आखिरी रसूल व नबी है, उनके बाद कोई नया रसूल या नबी दुनिया में नही आएगा, यही तमाम मुसलमानों का अकीदा है, अगर कोई इस अकीदे के बाहर जाकर, किसी व्यक्ति को नबी या रसूल मानता है, तो वह इस्लाम से खारिज माना जाएगा। उन्हाने कहा कि पैगंबर साहब की बताई हुई शिक्षाओं को आत्मसात करने की जरूरत है। उन्होंने कहा की इमामों को चाहिए की इस्लाम की सही तस्वीर को आम किया जाय। जमीअत के जिला अध्यक्ष मौलाना अब्दुल मन्नान कासमी ने मोबाइल के कारण समाज में फैल रही बुराईयों पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर जामा मस्जिद धामावाला के इमाम मुफ्ति हुजैफा कासमी ने कहा कि अपने इमान की हिफाजत करना हम सब पर लाजिम है, कुरआन और मुहम्मद साहब की तालीमात को सामने रख कर अपना हा काम किया जाए। उनकी दुआ पर ही जलसा समाप्त हुआ।
अधोईवाला की फिरदोस मस्जिद के इमाम और जलसे के आयोजक मुफ्ती नदीम क़ासमी व मस्जिद कमेटी ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया। इस मौके पर मौलाना मौहम्मद उमर कासमी, मास्टर अब्दुल सत्तार, मुफ्ती रागिब क़ासमी, मौलाना हन्नान, मौलाना मुतय्यब, मौलाना रागिब मजाहिरी, कारी शाहिद कासमी, कारी एहसान, मोहम्मद शाह नज़र, कारी शाहवेज आदि मौजूद रहे।