बीजेपी व कांग्रेस सिर्फ सत्ता के लिए लड़ते, कभी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के लिए नहीं लड़ेः आतिशी

देहरादून। दिल्ली में कालका जी से आप की विधायक और डायनामिक आप नेत्री आतिशी,कल हल्द्वानी काशीपुर  के  दौरे के बाद आज देहरादून पहुंची। देहरादून में आज सुबह उन्होंने  राजपुर विधानसभा में उन्होंने महिला संवाद कार्यक्रम में हिस्सा लिया। रायपुर विधानसभा में आप नेत्री आतिशी  ने मातृशक्ति संवाद कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद वो  सीधे आप प्रदेश कार्यालय आराघर पहुंची जहां उन्होंने पत्रकार वार्ता को संबोधित किया।उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, मैं उत्तराखंड दौरे पर आई हूं और इस दौरे के दौरान कई सच्चाईयां मेरे सामने आई हैं। 21 साल पहले बने इस राज्य के निर्माण में मातृशक्ति ने अपना बहुत बडा योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि इस देवभूमि की मातृशक्ति ने इस प्रदेश के निर्माण की खातिर अपने प्राणों की आहूति तक दे दी। उन्होंने उत्तराखंड आंदोलन में शहीद हुए, हंसा धनई और बेलमति चौहान का नाम लेते हुए उन वीरांगनाओं को याद किया, जिन्होंने इस नए राज्य के निर्माण की खातिर अपने प्राणों की आहूति तक दे दी। उन्होंने कहा,यहां के युवा भी राज्य निर्माण आंदोलन में पीछे नहीं रहे । कई युवाओं ने अपना घरबार छोडकर अपनी नौकरियां छोडकर पृथक राज्य के लिए लडाई लडी। लेकिन आज यही महिलाएं ,यही युवा और अन्य लोग यहां राज कर चुकी सरकारों से जानना चाहते हैं ,कि 21 सालों बाद भी उन्हें इस प्रदेश में क्या मिला।
उन्होंने कहा कि, आज उत्तराखंड में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था के बुरे हाल हैं। सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति महिला के स्वास्थ्य को लेकर है। बीते 21 सालों में इस प्रदेश में हर क्षेत्र में हालात बद से बदतर हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि, यहां के लोग बारी बारी से बीजेपी और कांग्रेस को वोट देते हैं ,ताकि वो पार्टी उनके लिए विकास कार्य कर सकें। बीते 21 सालों में 10 साल बीजेपी तो 10 साल कांग्रेस की सरकार इस राज्य में रही। पार्टियां बदली ,नेता बदले,लेकिन जनता की स्थिति, आज तक नहीं बदल पाई है। उन्होंने  कहा कि ,उत्तराखंड के लोगों को 21 साल में अगर कुछ मिला तो सिर्फ 11 मुख्यमंत्री मिले। यहां पॉलिसी नहीं बल्कि सीएम बदले गए । बीते 1 साल में इस प्रदेश ने तीन मुख्यमंत्री देख लिए हैं। लेकिन बदले में जनता को क्या मिला, सिर्फ टूट फूटे स्कूल।
उन्होंने मीडियाकर्मियों को काशीपुर का उदाहरण देकर बताया कि, कल अपने काशीपुर दौरे के दौरान भोगपुर के प्राथमिक विद्यालय को देखने का मौका मिला, तो आंखों में आंसू आ गए कि सरकारी स्कूल की ऐसी हालत थी कि, स्कूल में एक भी शीशा खिडकी में नहीं लगा था,बच्चों के बैठने के लिए कक्षाओं में कोई डैस्क की सुविधा नहीं थी। पीने के लिए पानी तक नहीं था। उन्होंने कहा कि जब उत्तराखंड के बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिलेगी, तो कैसे यहां के बच्चे आगे बढ पाएंगे। उन्होंने कहा कि जो बच्चे पढ लिख जाते हैं उनके लिए राज्य में नौकरियां यहां की सरकारें दिला नहीं पाती तो मजबूरन उन युवाओं को पलायन करने को मजबूर होना पडता है। वही हाल महिलाओं के हैं , प्रसव के दौरान जच्चा बच्चा दोनों ही महफूस नहीं रह पाते ।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के ही आंकडे इसकी तस्दीक करते हैं कि 1 लाख महिलाओं में से 100 महिलाओं की प्रसव के दौरान मृत्यु हो जाती है। ये है उत्तराखंड की हालत । आज उत्तराखंड को बने हुए 21 साल हो चुके हैं तो देश को आजाद हुए 75 साल पूरे हो चुके हैं। लेकिन आज हालात ये हैं कि, इस राज्य में एक महिला सुरक्षित तौर पर अपने बच्चे को जन्म नहीं दे सकती है ,और यह हम सबके लिए बहुत ही शर्म की बात है।

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