उत्तराखंड के सभी जनपदों  में 43.55 लाख बच्चों को खिलाई जाएगी कृमि मुक्ति की दवा

  • 1 से 19 साल तक के बच्चों और किशोर किशोरियों को दवा खिलाने का लक्ष्य
  • सभी 13 जनपदों में 18 से 23 अप्रैल तक चलेगा अभियान

देहरादून। राज्य में 1-19 साल तक के 43.55 लाख बच्चों और किशोर-किशोरियों को आगामी अप्रैल माह में कृमि मुक्ति की दवा खिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की योजना पर चर्चा के लिए शुक्रवार को राज्य स्तरीय समन्वय समिति की बैठक निदेशक स्वास्थ्य डा. विनीता शाह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में शिक्षा, आईसीडीएस, मदरसा बोर्ड, विद्यालय शिक्षा, पंचायती राज, उच्च शिक्षा, स्वच्छ भारत मिशन, आउट रीच ब्योरों, नगर निगम देहरादून, भारत स्काउट एडं गाइड के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर एनडीडी कार्यक्रम की तकीनीकी सहयोगी सेवी संस्था एवीडेन्स एक्शन सहित स्वास्थ्य एवं एनएचएम के अधिकारीगण उपस्थित थे। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्य के 43.55 लाख बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा 18 से 23 अप्रैल  के दौरान सभी  स्कूलों व आंगनवाड़ी केद्रों में खिलायी जायेगी। स्कूलों व आंगनवाड़ी केद्रों में दवा खाने से छूट गये बच्चों अथवा समुदाय के अन्य बच्चों और किशोर-किशोरियों को दवा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं आशा कार्यकर्ता के द्वारा घर घर जाकर खिलायी जाएगी। ज्ञातव्य है कि डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार भारत में 1 से 14 साल तक की उम्र के 22 करोड़ से भी अधिक बच्चों को कृमि संक्रमण का खतरा है। साथ ही भारत उन देशों में से एक है जहाँ कृमि संक्रमण और इससे संम्बन्धित रोग सबसे अधिक पाए जाते हैं। कृमि संक्रमण की रोकथाम के लिए (एल्बेण्डाजोल दवाई का सेवन एक सुरक्षित, लाभदायक एवं प्रभावी उपाय है जो साक्ष्य आधारित और वैश्विक स्तर पर स्वीकृत है। इन दुस्प्रभावो की रोकथाम के लिए भारत एवं उत्तराखण्ड सरकार की ओर से राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का आयोजन वर्ष में दो बार कृमि संक्रमण और उससे सम्बंधित रोगों की रोकथाम के लिए किया जाता है। इस कार्यक्रम में 1-19 वर्ष के सभी बच्चों और किशोरों को स्कूल, तकनीकी संस्थानों और आंगनवाड़ी के माध्यम से डिवर्मिंग दवा एल्बेंडाजॉल खिलाकर कृमि मुक्त किया जाता है। पिछले वर्ष कोविड महामारी के बाद शिक्षण संस्थानों के बंद रहने से, स्कूलों और आंगनवाड़ियों के माध्यम से राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम नहीं किया जा सका। उत्तराखण्ड सरकार ने कोविड सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करते हुए सितम्बर- अक्टूबर 2020, मार्च 2021 और अक्टूबर-नवंबर 2021 राउंड का आयोजन आशा/आंगनवाड़ी कार्यकार्ता की ओर से समुदाय-आधारित कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। वर्तमान में स्कूल और आंगनवाडी राज्य में पूरी तरह से खुल गयें है, इसलिए स्कूल-आंगनवाड़ी के साथ-साथ समुदाय स्तर पर भी छूटे हुए बच्चों की डिवर्मिंग की जायेगी।  इस अवसर पर निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तराखण्ड ने राज्य के सभी अधिकारीयों को निर्देशित कर कहा कि कोविड समन्धित सभी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए राज्य के सभी बच्चों को कृमि मुक्त किया जान सुनिश्चित करें। साथ ही सभी विभागों को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम में विशेष सहयोग देने के लिए निर्देशित करते हुए यथोचित सहयोग के लिए कहा गया।

उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस की झलक
1.अब तक हुए एनडीडी (राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस) राउंड की कुल संख्या: 11
2.राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस अप्रैल 2022 में कृमि मुक्त किये जाने वाले लक्षित बच्चे
और किशोर/किशोरियों की कुल संख्या 43.55 लाख़।
3.एनडीडी अक्टूबर-नवंबर 2021 राउंड में एनडीडी कार्यक्रम करने वाले जिलों
की कुल संख्या 13
4.एनडीडी अक्टूबर-नवंबर 2021 राउंड में 33.72 लाख किशोर/किशोरियों को
कृमि मुक्त किया गया।
एक्टिव कोविड मामले वाले घरों में नहीं किया जाएगा डिवर्मिंग: डॉ. विनीता
देहरादून ।स्वास्थ्य निदेशक डॉ. विनीता शाह ने कहा कि सभी बच्चों और किशोरों के बेहतर स्वास्थ्य एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए, उत्तराखण्ड सरकार, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास और शिक्षा विभाग के सक्रिय सहयोग से राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का आयोजन छह दिनों के लिए 18 अप्रैल से 23 अप्रैल तक किया जाएगा। निदेशक विनीता डॉ. शाह ने जानकारी दी कि उत्तराखण्ड सरकार ने कार्यक्रम में शामिल सभी प्रथम सेवा प्रदाताओं एवं अध्यापकों को डिजिटल माध्यम से प्रशिक्षित किया है जिससे सभी जिलों में आयोजन होने वाले डिवर्मिंग कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित की जा सके। माता-पिता और अभिभावकों से अनुरोध है कि वे स्वयं कोविड सुरक्षा दिशा निर्देशों का पालन करते हुए कृमि मुक्ति कार्यक्रम के दौरान अपना पूरा सहयोग प्रदान करें। सक्रिय कोविड मामले वाले घरों में डिवर्मिंग नहीं किया जाएगा। वहां लाभार्थी/परिवार के सदस्य के स्वस्थ होने की रिपोर्ट के आने के बाद डिवर्मिंग की जाएगी। ऐसे दवा प्रदाता जो स्वयं अथवा उनके परिवार के किसी सदस्य, कोविड से संक्रमित
हैं, उन्हें कृमि मुक्ति कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जाएगा।

कृमि  संक्रमण भारत में एक प्रमुख जन स्वास्थ्य
समस्या: डॉ. कुलदीप
देहरादून । राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कुलदीप मर्तोलिया ने बताया कि कृमि एक परजीवी हैं जो मनुष्य के आंत में रहते हैं और जीवित रहने के लिए मानव शरीर के जरूरी पोषक तत्व को खाते हैं। कृमि संक्रमण भारत में एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या है और ये बच्चों और किशोरों की शारीरिक, मानसिक और शैक्षणिक विकास पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। इनसे अनीमिया और कुपोषण का भी खतरा है। नियमित डिवर्मिंग बच्चों और किशोरों में कृमि के संक्रमण को समाप्त कर, उनके शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास में योगदान कर सकता है, और साथ ही जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता
है।

एल्बेंडाजोल है डब्ल्यूएचओ से अनुमोदित दवा
देहरादून । एल्बेंडाजॉल डब्ल्यूएचओ की ओर से अनुमोदित दवा है जिसका उपयोग पूरे विश्व में बच्चों और किशोरों में आंत के कृमि संक्रमण को रोकने के लिए किया जाता है। भारत में इसका उपयोग सभी फाइलेरिया प्रभावित राज्यों और जिलों में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) के तहत किया जाता है। एल्बेंडाजोल टेबलेट सेवन के बाद कुछ बच्चों को हल्के पेट दर्द, उल्टी, जी मिचलना दस्त और थकान का अनुभव हो सकता है। ये दुष्प्रभाव आमतौर पर अस्थायी होते हैं और इन्हें आसानी से संभाला जा सकता है। चोकिंग (दवाई का गले में अटकना) एल्बेंडाजॉल का साइड इफेक्ट नहीं है और यह तब होता है जब टैबलेट को ठीक से चबाया या चूरा ना किया हो। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम के दौरान किसी भी प्रतिकूल घटनाओं के प्रबंधन के लिए, उत्तराखण्ड में सशक्त आपातकालीन सहायता दल तैयार रहता है।

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