डीजेजेएस ने साप्ताहिक वेबकास्ट में निस्वार्थ सेवा के महत्व को किया उजागर

  • आध्यात्मिक मार्ग पर चल रहे साधकों को निस्वार्थ सेवा के लिए किया प्रेरित
  • शिष्यों व जिज्ञासुओं ने घर-बैठे ही कार्यक्रम का लिया लाभ प्राप्त

देहरादून। दिव्य गुरु आशुतोष महाराज की ओर से संस्थापित व संचालित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान सोमवार को संस्थान के यूट्यूब चैनल पर साप्ताहिक वेबकास्ट प्रसारित किया गया। वेबकास्ट श्रृंखला के 87वें एपिसोड में अध्यात्म के मार्ग पर चल रहे साधकों को निःस्वार्थ सेवा के महत्व अथवा उसकी अनिवार्यता के बारे में बताया गया। देश विदेश में रहने वाले सभी शिष्यों व जिज्ञासुओं ने घर-बैठे ही इस कार्यक्रम का लाभ प्राप्त किया। डिजिटल माध्यम से हजारों लोगों द्वारा देखे जाने वाले इस कार्यक्रम की शुरुआत मंत्रमुग्ध कर देने वाले आध्यात्मिक भजनों से की गई, जिसने वातावरण को दिव्यता से भर दिया।

भावपूर्ण भजनों के साथ प्रेरक विचारों द्वारा साधकों को गुरु आज्ञाओं का अनुपालन करते हुए निरंतर ब्रह्मज्ञान की ध्यान साधना करने के लिए प्रेरित किया गया। इसके बाद एक विस्तृत आध्यात्मिक व्याख्यान को प्रस्तुत किया गया, जिसमें दिव्य गुरु आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी धीरानंद ने शिष्यों के जीवन में निस्वार्थ सेवा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने एक सच्चे सेवक के रूप में श्री हनुमान जी का उदाहरण दिया। साथ ही इतिहास और वर्तमान समय के कई अन्य उदाहरणों का वर्णन करते हुए इस तथ्य को पुष्ट किया कि निःस्वार्थ भाव से की गई सेवा साधक को उसके पिछले कर्मों के बोझ से मुक्ति प्रदान करती है।

शास्त्र ज्ञान को सांझा करते हुए स्वामी ने तीन प्रकार की निरूस्वार्थ सेवा के बारे में बताया – तनुजा (शारीरिक सेवा), मनुजा (मानसिक सेवा) और धनुजा (वित्तजा सेवा)। उन्होंने आगे शिष्यों को दिव्य गुरु के पवित्र चरणों में अपनी सच्ची सेवाओं को अर्पित करने के लिए प्रेरित किया क्योंकि सेवा गुरु की प्रसन्नता से प्राप्त दिव्य आशीर्वाद होता है। कार्यक्रम का समापन विश्व भर में उपस्थित दिव्य गुरु आशुतोष महाराज के शिष्यों द्वारा एक घंटे के सामूहिक ध्यान सत्र से हुआ, जिसने चारों ओर सकारात्मकता को स्पंदित किया। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान एक विलक्षण सामाजिक – आध्यात्मिक संस्था है, जो विश्व शांति के वृहद् लक्ष्य को स्थापित करने हेतु कार्यरत है।

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