एक मुस्लिम परिवार ने मंदिर निर्माण को 2.5 करोड़ देने की पेशकश की

मुसलमानों की सहायता के बिना इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करना असंभव होताः मंदिर ट्रस्ट नफरत…

मदरसे धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ बुनियादी शिक्षा के भी विकल्प

संसाधनों के साथ पैदा हुए सभी बच्चों में विकास और उन्नति के सपने सदा खिलते हैं।…

भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र समस्त मानव जाति के लिए हैं प्रेरणा का स्रोत

भारतीय संस्कृति के आधार स्तम्भ- भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र समस्त मानव जाति के लिए प्रेरणा…

विविध भारतीय भोजन के माध्यम से समकालिक संस्कृति को समझे

सिंक्रेटाइज़ शब्द का अर्थ समामेलन या संश्लेषण करना है। आम तौर पर, दो अलग-अलग पहलू, विचारधाराएं…

शांतिपूर्ण शिक्षाओं के लिए जाना जाता है सूफीवाद

लगभग 600 साल पहले, एक सूफी संत हजरत शेख अलाउद्दीन अंसारी को कर्नाटक के कालाबुरागी जिले…

मकर संक्रांति: जानिए इस पर्व का आध्यात्मिक महत्व

जनवरी माह की 14 तारीख को मकर संक्रांति का उत्सव पूरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास से मनाया…

युवा दिवस विशेषः युवा शक्ति को संचित एवं पोषित कर राष्ट्र उन्नति का आधार बनें

एक महान युवा सन्यासीए समाज सुधारक और विदेशों में भारतीय संस्कृति के सम्मान में चार चाँद…

प्रकृति प्रेमियों के लिए जन्नत से कम नहीं है पिथाैरागढ़ का चाैकोड़ी

हिमालय के हृदय स्थल में बसा उत्तराखंड का चाैकोड़ी प्रकृति प्रेमियों के लिए जन्नत से कम…

अपने हुनर के दम पर आगे बढ़ते युवा प्रधान -आशीष रणाकोटी

वाचस्पति रयाल,नरेन्द्रनगर।
       संघर्षी जीवन ही व्यक्ति को उसकी ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मददगार साबित होता है।धैर्य और साहस इसके दो ऐसे मजबूत पहलू हैं,जो लक्ष्य तक पहुंचाने में सजीव ऊर्जा का काम करते हैं।
धैर्य आगे बढ़ने की हिम्मत के साथ प्रेरणा तथा साहस ऊर्जा और उत्साह देने का काम करते हैं।
    इतिहास गवाह है कि इन्हीं दो विशेषताओं से लबरेज  जिज्ञासुओं व व्यावहारिक प्रतिभाओं ने जीवन में आगे बढ़ने के भगीरथ प्रयत्नों में अपनी कमजोरियों,गलतियों, श्रेष्ठ विचारों,बेहतरीन अवसरों, शिखरों को छू लेने वाली सफलताओं से सीख लेते हुए कामयाबी के शिखरों पर अपना अनुकरणीय व बेमिसाल परचम लहराया है।
  कामयाबी की बुलंदियों को छूने वाले इन प्रतिभाओं की यह कामयाबी आने वाली पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए अनुकरणीय मिसाल बन जाती है।
 इसी तरह का एक उदाहरण पेश करने की तरफ बढ़ते दिखाई दे रहे हैं- भुटली ग्राम पंचायत के युवा तेजतर्रार प्रधान आशीष रणाकोटी।
निवास व शैक्षिक योग्यता
 टिहरी जिले के विकासखंड नरेन्द्रनगर की पट्टी पालकोट के गांव नैल में 2 जुलाई 1991 को जन्मे आशीष रणाकोटी वर्ष 2019 में ग्राम पंचायत भुूटली के प्रधान चुने गए।
   28 वर्षीय आशीष विकासखंड के सबसे युवा प्रधान में शुमार हैं।
  बड़ी बहन और छोटा भाई सहित आशीष तीन भाई-बहन हैं।
पिता कीर्ति मणि बीआरओ में सूबेदार व माता प्रमिला देवी गृहिणी हैं।
शैक्षिक योग्यता व संगठनों में पद
आशीष रणाकोटी ने डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून से स्नातक के बाद मदरहुड विश्वविद्यालय हरिद्वार से एलएलबी की उपाधि लेने के बाद वकालत का पेशा चुनने के बजाए समाज सेवा में कदम रखना उचित समझा।
    समाज सेवा और राजनीति के प्रति आशीष रणाकोटी का रुझान इसी बात से लग जाता है कि प्रधान चुने जाने से पूर्व वे छात्र राजनीति में प्रवेश कर चुके थे, उन्होंने एनएसयूआई व भारतीय राष्ट्रीय मजदूर संगठन(इंटक)के उपाध्यक्ष व जिला अध्यक्ष के पदों को सुशोभित करने के साथ ही, वर्ष 2018 में टिहरी जिले के युवा कांग्रेस के महामंत्री चुने गये।
वर्ष 2019 में प्रधान चुने जाने के बाद, आशीष रणाकोटी प्रधान संगठन के ब्लॉक महामंत्री तथा जिला प्रवक्ता चुने गए। संघ के प्रति उनकी निष्ठा और संघर्ष क्षमता को देखते हुए प्रदेश प्रधान संगठन ने उन्हें हाल ही में देहरादून में आयोजित एक समारोह में संगठन का प्रांतीय मीडिया प्रभारी नियुक्त किया गया है।
क्षेत्र की समस्याओं के प्रति हैं गंभीर
आशीष रणाकोटी क्षेत्र की समस्याओं के निराकरण के लिए निरंतर सक्रिय हैं।लसेर चौकी में पटवारी की नियुक्ति करवाने, क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरवाने,गुलदार द्वारा क्षेत्र में मवेशियों को मौत के घाट उतारने पर पीड़ितों  को मुआवजा दिलाए जाने सहित क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए वे निरंतर सक्रिय रहते हैं।
  युवा जोश और जुनून से तरोताजा उर्जावान आशीष रणाकोटी निरंतर सामाजिक सरोकारों से जुड़े हैं।
क्षेत्र में समर्पण भाव से काम करने के कारण ही आशीष क्षेत्रवासियों के चहेते बनते जा रहे हैं।
  क्षेत्रवासियों को उम्मीद है कि आशीष क्षेत्र में इसी तरह काम करता रहा तो सफलता निश्चित उसके कदम चूमेगी।
 शायद ऐसे ही जुनून और संघर्षशील युवाओं के लिए हैं ये पंक्तियां:-
“जिंदगी जीना आसान नहीं होता,बिना संघर्ष किए कोई महान नहीं होता; इसीलिए तो पड़ती है हथौड़े की चोट; चूंकि बगैर तरासे, पत्थर भगवान नहीं होता”