अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा की बैठक में सामाजिक सद्भाव बढ़ाने और जाति व्यवस्था उन्मूलन पर बल
ऋषिकेश। अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक ऋषिकेश में संपन्न हुई। सुरम्य जयराम आश्रम, त्रिवेणी घाट में आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन नीदरलैंड से पधारे महर्षि केशवानंद महाराज ने किया। राष्ट्रीय महासचिव विशन कौशिक व पूर्व विधायक अरिंदम भट्टाचार्य ने शॉल, स्मृति चिह्न और फूल भेंट कर उनका स्वागत किया। उद्घाटन भाषण में महर्षि केशवानंद ने तेजी से बदलती आधुनिक दुनिया के साथ पारंपरिक भारतीय आवासीय विद्यालय की व्यवस्था ‘गुरुकुल’ के आधुनिकीकरण पर बल दिया। उन्होंने पेशेवर कौशल के साथ छात्रों को सशक्त बनाने के लिए इन संस्थानों में बदलाव की वकालत की, साथ ही गुरुकुलों के छात्रों से सक्रिय रूप से ग्रामीण समुदायों के साथ जुड़ने, धर्म के संदेश को फैलाने और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देने का आग्रह किया।
बैठक में अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया, जिसमें भारतीय समाज में भेदभाव बढ़ाने वाली जाति विभाजन व्यवस्था के उन्मूलन की वकालत की गई। राष्ट्रीय महासचिव विशन कौशिक ने कहा कि जाति व्यवस्था के उन्मूलन से एक संतुलित और न्यायपूर्ण भारतीय समाज का निर्माण होगा। पूर्व विधायक अरिंदम भट्टाचार्य ने कहा कि महासभा का यह निर्णय सद्भाव और समानता स्थापित करने के उसके संकल्प को प्रदर्शित करता है। दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न होने के बाद महर्षि केशवानंद को समारोह पूर्वक विदाई दी गई। इस दौरान महासभा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के अलावा सभी राज्यों के पदाधिकारी भी उपस्थित रहे। गौरतलब है कि अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा की स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1938 में की थी। उससे बाद से यह संगठन लगातार देश, धर्म और समाज के हित में काम कर रहा है।