नई दिल्ली। सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं और एशिया सोसाइटी इंडिया सेंटर ने पिछले हफ़्ते भारत और ऑस्ट्रेलिया में क्लाइमेट एक्शन के अवसरों का पता लगाने के लिए एक गोलमेज सम्मेलन किया। जिसमें चर्चा का नेतृत्व एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की निष्ठा सिंह, कुबेरनेइन इनिशिएटिव की अंबिका विश्वनाथ और सिडनी यूनिवर्सिटी के नेट ज़ीरो इनिशिएटिव के डायरेक्टर प्रो डीना डीश्एलेसेंड्रो सहित कई अन्य प्रतिष्ठित लोगों ने किया।
इस कार्यक्रम में कई शोधकर्ताओं के संघ, उद्योग जगत के दिग्गजों, शिक्षाविदों के साथ – साथ एनजीओ ने भाग लिया, जिसमें उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच रणनीतिक द्विपक्षीय सहयोग के अवसरों का पता लगाया।
भारत और ऑस्ट्रेलिया कई समान समस्याओं जैसे कि फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता, बढ़ती ऊर्जा की मांग और कृषि क्षेत्र से उत्सर्जन आदि से जूझ रहे हैं। इस गोलमेज बैठक में द्विपक्षीय साझेदारी के लिए सबसे अहम क्षेत्रों को रेखांकित किया गया, जिसमें रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी, महत्वपूर्ण खनिजों, हाइड्रोजन पहलों पर रोशनी डालना और उन सेक्टरों को बदलने पर जोर देना आदि शामिल थे, जिन्हें कम करना कठिन है, ताकि स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को मज़बूती दी जा सके।
एक उचित परिवर्तन के विचार को संबोधित करने में राज्यों में होने वाले अलग – अलग तरह के प्रभावों से निपटना, स्वदेशी ज्ञान को एकीकृत करना और रिन्यूएबल क्षेत्रों में नौकरी परिवर्तन की सुविधा देना आदि शामिल हैं।
सिडनी यूनिवर्सिटी के लॉ स्कूल के प्रोफेसर पेनेलोप क्रॉसली ने कहा, “भारत और ऑस्ट्रेलिया अपनी ऊर्जा प्रणालियों की संरचनाओं के मामले में लगभग समान हैं दृ जिनमें शायद विश्वस्तर पर सबसे ज़्यादा समानता है।” उन्होंने आगे कहा, “इसका मतलब है कि हमें ज्ञान साझा करना बहुत जरूरी है। हमें एक-दूसरे से सीखने, निवेश में जोखिम कम करने और प्रगति में तेजी लाने की जरूरत है।”
सेंटर फॉर एनवायरन्मेंटल रिसर्च एंड एजुकेशन, भारत के फाउंडर और डायरेक्टर, डॉ. रश्नेह पारदीवाला ने कहा, “हमारे पास डीकार्बाेनाइजेशन के लिए कभी भी कोई आदर्श हल नहीं होगा।” उन्होंने आगे कहा, “लेकिन हम तब तक इंतजार नहीं कर सकते जब तक हमें इस से जुड़ी सारी जानकारी न मिल जाए। हमें काम कर – कर के अपना ज्ञान बढ़ाना होगा और अपने अनुभव से अपना आत्मविश्वास भी।”
गोलमेज सम्मेलन में भाग ले रहे गोदरेज इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर तथा गोदरेज एग्रोवेट के चेयरमैन, नादिर गोदरेज ने कहा, “अनुकूलन रोकथाम से अधिक महंगा है – हमें जल्द से जल्द अपनी एनर्जी एफिशिएंसी में सुधार लाने, जो संसाधन सस्टेनेबल नहीं हैं, उन की मांग कम करने और उत्सर्जन में कमी लाने की जरूरत है। कॉर्पाेरेट सामाजिक दायित्व भारत में बदलाव लाने में सबसे अहम भूमिका निभाएगा।”