टीचर ऑफ़ द ईयर के साथ पांचवें देहरादून इंटरनेशनल साइंस एंड टेक्नोलॉजी फेस्टिवल का समापन

  • विकास को आगे की ओर ले जाना हैं। इसके लिए हमें नवाचार और शोध के साथ ही स्किल आधारित शिक्षा पर विशेष जोर देना होगा: अभिनव कुमार
  • हमारा छात्र स्कूली जीवन से ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समृद्ध हो, इसके लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है: अभिनव कुमार

देहरादून  : वीर माधव सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में चल रहे चार दिवसीय देहरादून अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव का समापन टीचर ऑफ द ईयर अवॉर्ड समारोह के साथ संपन्न हुआ।
समापन अवसर पर राज्य के पुलिस प्रमुख अभिनव कुमार ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस महोत्सव में आप सभी के बीच आकर मुझे बहुत अधिक प्रसन्नता हो रही है। विज्ञान , प्रौद्योगिकी और नवाचार के इस महोत्सव के दौरान मैंने देखा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों एवं वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकी आधारित संस्थाओं ने नवाचार आधारित प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन किया। मैं दिल की गहराईयों से सभी युवा छात्रों को बधाई देना चाहता हूं और आप सभी के उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को राष्ट्र को समर्पित करते हुए संकल्प लिया था कि वह भारतीय समाज को वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला समाज बनाएंगे। इसके लिए उन्होंने जोर दिया कि स्कूली जीवन से ही छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित किया जाना चाहिए। इस दिशा में देहरादून अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव एक मील का पत्थर साबित हुआ, ऐसा यहां आकर मुझे पूर्ण विश्वास हुआ है। आजादी के 75 सालों में यदि आज हम दुनिया में विकसित देशों के साथ प्रतिस्पर्द्धा में आगे हैं तो उसका आधार प्रौद्योगिकी है। आज हम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी आदि के क्षेत्र में सिरमौर है। हमें इस विकास को आगे की ओर ले जाना हैं। इसके लिए हमें नवाचार और शोध के साथ ही स्किल आधारित शिक्षा पर विशेष जोर देना होगा। इसके लिए जरूरी है कि हमारा छात्र स्कूली जीवन से ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समृद्ध हो। देहरादून न केवल स्कूली शिक्षा के लिए पूरे देश में विख्यात है बल्कि यह विज्ञान नगरी के रूप् में भी जाना जाता है। यहां 35 से अधिक राष्ट्रीय महत्व के वैज्ञानिक संस्थान हैं। अब देहरादून उच्च शिक्षा का भी केंद्र बन गया है। देश-विदेश से छात्र अध्ययन करने के लिए यहां आते है।

उन्होंने कहा कि इस आयोजन को विशाल मंच के रूप स्थापित करने में अपना योगदान देने वाले सभी संस्थानों को साधुवाद देना चाहूंगा और अपेक्षा करूंगा कि महोत्सव के माध्यम से अधिक से अधिक छात्रों को लाभान्वित करें। इस मंच को ऐसा रूप दे कि यह शोध, विकास और नवाचार का एक केंद्र के रूप में स्थापित हों। यहां आकर मुझे महसूस हुआ कि देहरादून अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव अपनी तरह का अनूठा आयोजन है, जो वैज्ञानिक जगत के सभी लोगों को एक मंच प्रदान करने के लिए निरंतर आयोजित किया जा रहा है। पिछले चार संस्करणों में भारी भागीदारी देखी गई है, जहां विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्यास और भूख को पूरा करने के लिए उपयुक्त घटनाओं की अधिकता से समाज को लाभ हुआ है। इस तरह के आयोजनों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी समुदाय को लाभ मिल सकता है, जिसमें स्कूल जाने वाले बच्चे, विज्ञान, इंजीनियरिंग और मेडिकल के छात्र, वैज्ञानिक लेखक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी ब्लॉगर और व्लॉगर या समाचार प्रसारक/पॉडकास्टर शामिल हैं। शिक्षक, टेक्नोक्रेट, संचारक, वैज्ञानिक, शोधकर्ता, उद्यम पूंजीपति, कलाकार, लेखक, पत्रकार, प्रशासक, नीति निर्माता और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति रुचि रखने वाले अन्य नागरिकों के लिए यह एक बेहतर मंच है।
यह एक सार्वजनिक मंच है जहां सभी समुदाय और शैक्षणिक संस्थानों के छात्र आकर नॉलेज एक्सचेंज कर सकते हैं, अपने उत्कृष्ट कार्य और उपलब्धियों का प्रदर्शन कर सकते हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय ने राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों को इस महोत्सव में भाग लेने का पूरा मौका प्रदान किया। विश्वविद्यालय ने चार दिवसयी इस महोत्सव का देहरादून में आयोजन किए जाने से पूर्व एक दिवसीय आयोजन जिसमें 07 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन एक साथ किया गया, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी, चंपावत और पिथौरागढ़ जिले में भी आयोजित कराए। यह पहल बहुत ही सराहनीय है कि विश्वविद्यालय ने अपने प्रयासों से इस महोत्सव का लाभ हमारे सूदूरवर्ती पर्वतीय जिलों के छात्रों तक भी पहुंचाया। इस महोत्सव के सभी सहयोगी संस्थाओं यथा यूकोस्ट, ओएनजीसी, टीएचडीसी, यूजेवीएनएल, जेएसडब्ल्यू, यूसर्क, भारत सरकार का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा बॉयोटेक्नॉलोजी मंत्रालय तथा अन्य राज्य सरकार के सभी सहयोगी संस्थानों से कहना चाहूंगा कि यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी का यह उत्सव निरंतर विकास करता रहे और इससे पूरे प्रदेश के छात्रों को विज्ञान प्रेमियों को लाभ मिलना चाहिए। राज्य के प्रमुख शिक्षाविदों के संरक्षण में इस वर्ष के पुरस्कृत टीचर ऑफ द ईयर, प्रिंसिपल ऑफ द ईयर, एक्सीलेंस इन रिसर्च ऑफ द ईयर तथा वाइस चांसलर ऑफ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित सभी शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को हार्दिक शुभकामनाएं। जिस तरह से उन्होंने इस पुरस्कार को प्राप्त करके अपने में एक ऊर्जा का संचार किया है, वैसा ही ऊर्जा का संचार वह अपने छात्रों में भी करेंगे।

चार दिवसीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के इस महोत्सव में साइंस पोस्टर, स्पेस साइंस क्विज, मैजिक ऑफ मैथ, एयरो मॉडलिंग, रोबोटिक्स, सर्किट बोर्ड डिजाइनिंग, मॉडल राकेटरी, ड्रोन वर्कशॉप, यंग साइंटिस्ट एंड र्स्टाटअप, ग्रीन एनर्जी कॉन्क्लेव, मेडिकल टेक्नॉलोजी कॉन्क्लेव, बायोटेक्नॉलोजी कॉन्क्लेव, साइबर सिक्योरिटी सहित 35 इवेंट्स का आयोजन किया गया। इसके अतिरिक्त एक विशाल विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया जहां केंद्र और राज्य सरकार से विज्ञान प्रौद्योगिकी से जुड़े विभागों, शैक्षणिक संस्थाओं और शोध संस्थाओं के 81स्टॉल लगे थे। लगभग 7000 छात्रों ने विभिन्न इवेंट्स में प्रतिभाग करने के लिए पंजीकरण कराया था। 15,000 से अधिक छात्रों, अध्यापकों और विज्ञान प्रेमियों ने प्रदर्शनी में भाग लिया।
समापन के अवसर पर कुलपति उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार सिंह, यूकोस्ट के महानिदेशक डॉ दुर्गेश पंत, आईआईपी के निदेशक डॉ हरेंद्र बिष्ट, निदेशक तकनीकी शिक्षा डॉ आरपी गुप्ता, संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा डॉ ए एस उनियाल, यूसर्क की निदेशक डॉ अनीता रावत, डॉ अमित अग्रवाल, डॉ नवीन सिंघल, डॉ सौरभ मिश्रा, डॉ, सत्येंद्र सिंह, डॉ मनोज पंड्या समेत कई शैक्षणिक संस्थाओं के निदेशक और आयोजन समिति के सदस्य उपस्थित थे।

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