देहरादून। साल 2016 में शैला रानी, हरक सिंह रावत, विजय बहुगुणा, अमृता रावत, शैलेंद्र मोहन, कुंवर प्रणव चैंपियन, सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा, और उमेश शर्मा काऊ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। तब बीजेपी ने यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव को प्रत्याशी भी बनाया था, दोनों ने जीत भी दर्ज की थी। इसके बाद बीजेपी सरकार ने यशपाल आर्य को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया। अब 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले फिर राज्य में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं।यशपाल की ज्वाइनिंग में मौजूद थे हरीश रावत, गोदियाल: यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य को उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और हरीश रावत ने कांग्रेस ज्वाइन कराई। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इन दोनों की कांग्रेस ज्वाइन करने की घोषणा की। यशपाल आर्य उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री थे। उनके पास समाज कल्याण और परिवहन जैसे भारी-भरकम विभाग थे।
बदली परिस्थितियों में आर्य ने भी बदला पाला: ठीक चुनाव से पहले यशपाल आर्य ने बीजेपी छोड़ दी है। ऐसा माना जा रहा है कि किसान आंदोलन के कारण मैदानी इलाकों में स्थितियां बदली हैं। यशपाल आर्य बाजपुर से विधायक हैं। बाजपुर ऊधमसिंह नगर जिले की विधानसभा सीट है। ये सीट मैदानी इलाके में आती है। इन इलाकों में किसान आंदोलन का ज्यादा असर है। शायद यशपाल आर्य तो लगा हो कि बीजेपी में रहते 2022 में विधानसभा पहुंचना मुश्किल होगा। जानकार उनके दल-बदल को इसका बड़ा कारण मान रहे हैं।सीएम धामी ने भी मनाने की कवायद की थी: दरअसल यशपाल आर्य की नाराजगी की लंबे समय से चर्चा थी। लेकिन आर्य इस पर कुछ बोल नहीं रहे थे। पिछले दिनों बड़ी मुश्किल से उन्होंने इतना कहा था कि चुप्पी का मतलब नाराजगी ही नहीं होता। लेकिन बीजेपी हाईकमान तक उनकी नाराजगी की बात पहुंची होगी। इसीलिए 25 सितंबर को अचानक मुख्यमंत्री धामी यशपाल आर्य के घर पहुंच गए थे। सीएम धामी की इस मुलाकात को मान-मनौव्वल की कवायद के तौर पर देखा जा रहा था। लेकिन उससे भी बात नहीं बनी। आखिरकार आज यशपाल आर्य बीजेपी से वापस कांग्रेस में चले गए हैं।बता दें कि यशपाल आर्य छह बार विधायक रह चुके हैं। यशपाल पूर्व में उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं। वो पहली बार 1989 में खटीमा सितारगंज सीट से विधायक बने थे।