ग्याहरवें ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद

  • हजारों की संख्या में कपाट बंद होने के अवसर पर मौजूद रहे श्रद्धालु
  • आर्मी की बैंड धुनों से की जा रही भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली की अगुवाई
  • रात्रि रामपुर प्रवास के बाद आज गुप्तकाशी के लिए रवाना होगी डोली

रुद्रप्रयाग। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के छः माह के लिए विधि-विधान एवं पौराणिक परंपराओं के अनुसार बंद कर दिए गए हैं। इस अवसर पर देश के विभिन्न कोनों से आए श्रद्धालुओं ने भगवान केदारनाथ का जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित किया। आर्मी की बैंड धुनों से भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली की अगुवाई की जा रही है। पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिये रामपुर पहुंची, जहां से आज यानि रविवार को डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में रात्रि प्रवास के लिए पहुंचेगी। पौराणिक परंपराओं के अनुसार भैयादूज के पावन पर्व पर बाबा केदारनाथ के कपाट शीतकाल के छः माह के लिए बंद कर दिये गये हैं। कपाट बंद से पहले मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने रात्रि तीन बजे बाबा केदार को बाल भोग लगाया। इसके बाद चार बजे तक श्रद्धालुओं ने भगवान केदारनाथ के स्वयं-भू लिंग का जलाभिषेक कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की। चार बजे बाद भगवान केदारनाथ का रूद्राभिषेक, हवन व आरती उतारी गई। पांच से छह बजे तक भगवान केदारनाथ के स्वयं-भू लिंग को ब्रम्हकमल, पुष्प, अक्षत्र, भष्म, फल सहित अन्य पूजार्थ सामाग्रियों से समाधि दी गई और गर्भग्रह के कपाट बंद कर दिए गए, जिसके बाद शीतकाल के छः माह भगवान शंकर विश्व कल्याण के लिये तपस्यारत हो गये। अब शीतकाल में भगवान शिव की पूजा देवताओं की ओर से की जाएगी। ठीक सात बजकर 45 मिनट पर भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली सभामंडप से मंदिर परिसर लाई गई और आठ बजे मुख्य द्वार को बंद कर भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिये बंद कर दिए गये। पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के मंदिर परिसर आते ही आर्मी की बैंड धुनों, स्थानीय वाद्य यंत्रों एवं श्रद्धालुओं की जयकारों से केदारपुरी गुंजायमान हो उठी। इसके बाद पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली ने मुख्य मंदिर की एक परिक्रमा की और केदारपुरी, लिनचौली, जंगलचटटी, गौरीकुंड सहित अन्य स्थानों पर श्रद्धालुओं को दर्शन दिये। गौरीकुंड में गौरीमाई मंदिर में कुछ देर विश्राम करने के बाद बाबा केदार की डोली सोनप्रयाग, सीतापुर होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिये रामपुर पहंुची। आर्मी की बैंड धुनों द्वारा पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली की अगुवाई की जा रही है। आज चल विग्रह उत्सव डोली रामपुर से प्रस्थान कर शेरसी, बडासू, नारायकोटी, नाला होते हुए द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये गुप्तकाशी पहुंचेगी। इसके बाद सोमवार को गुप्तकाशी से प्रस्थान कर बाबा केदार की डोली शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव डोली ने मंदिर की परिक्रमा के बाद जय श्री केदार के उदघोष के साथ पहले पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान किया। आठ नवंबर को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली पंच केदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान हो जायेगी। इसी के साथ भगवान भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजायंे भी शुरू हो जायेंगी। उन्होंने बताया कि 22 नवंबर को द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट बंद होंगे और विग्रह डोली के 25 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचने की तिथि पर मद्महेश्वर मेला आयोजित होगा। उन्होंने बताया कि इस वर्ष दो लाख 43 हजार से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ धाम पहुंचे। इस मौके पर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती, देवस्थानम बोर्ड सदस्य आशुतोष डिमरी, आयुक्त गढ़वाल एवं देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन, जिलाधिकारी मनुज गोयल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल, उप जिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा, जल विद्युत निगम के डीजी केके बिष्ट, अनुराग बिष्ट, देवानंद गैरोला, केदार सभा अध्यक्ष विनोद शुक्ला, योगेंद्र सिंह, शिव सिंह रावत, सहायक अभियंता गिरीश देवली, पुलिस चौकी प्रभारी मंजुल रावत, मंदिर प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, प्रभारी लेखाअधिकारी आरसी तिवारी, धर्माचार्य ओंकार शुक्ला, प्रबंधक अरविंद शुक्ला एवं प्रदीप सेमवाल आदि मौजूद थे।

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