- धीरे-धीरे फिर बढ़ रहा कोविड संक्रमण का असर
- सक्रिय मरीजों की संख्या पहुंची 227,
- लापरवाई पड़ सकती लोगों को भारी, सरकार व स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क
देहरादून। उत्तराखण्ड में कोरोना संक्रमण का असर एक बार फिर बढ़ने लगा है। लंबे समय बाद प्रदेश में 44 नए मरीज मिले हैं। प्रदेश में हालांकि कोरोना से कोई मौत नहीं हुई है। इसके साथ ही सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़कर 227 हो गई है। 28 मरीजों को ठीक होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी गई। प्रदेश में रिकवरी दर 95.99 प्रतिशत चल रही है। अब तक प्रदेश में 344843 मरीज मिल चुके हैं। जबकि इनमें से अब तक 331001 मरीज ठीक हो चुके हैं। कोरोना से प्रदेश में अब तक 7416 लोगों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को 18877 लोगों की जांच की गई। वहीं 14463 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। सबसे ज्यादा 25 मरीज देहरादून में मिले हैं जबकि नैनीताल में 10 और चंपावत और हरिद्वार में 3-3 मरीज मिले हैं। लंबे समय बाद 44 मरीज मिलने से सरकार और स्वास्थ्य विभाग और ज्यादा सतर्क हो गए हैं। कोरोना के बढ़ते मरीजों के बीच लोगों को लापरवाही भारी पड़ सकती है। विशेष रूप से देहरादून में लोग अभी सामाजिक दूरी का पालन नही कर रहे हैं। वहीं मास्क लगाने में भी कोताही बरती जा रही है।
ओमीक्रोन वैरिएंट को देखते हुए सर्विलांस के नियमों में किया गया बदलाव
देहरादून। उत्तराखंड में ओमीक्रोन वैरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफे को देखते हुए सरकार ने सर्विलांस के नियमों में बदलाव किया है। संक्रमितों की समय रहते पहचान के लिए एक कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आए लोगों की आरटीपीसीआर जांच अनिवार्य की गई है। सचिव स्वास्थ्य डॉ पंकज पांडेय की ओर से सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों एवं जिला सर्विलांस अधिकारियों को इसके निर्देश दिए गए हैं। दरअसल राज्य में ओमीक्रोन वैरिएंट से संक्रमित चार मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। जबकि कई सैंपल जांच के लिए लगाए गए हैं। दुनियां के कई देशों के बाद अब भारत में भी ओमीक्रोन मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ने लगी है। ऐसे में सरकार तीसरी लहर को लेकिर आशंकित है और इसी को देखते हुए सर्विलास बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। कोरोना संक्रमण शुरू होने के बाद से ही सरकार संपर्क में आए लोगों की पहचान के लिए सर्विलांस पर जोर दे रही है। लेकिन अभी तक मरीजों में लक्षण दिखने पर ही मरीजों की कोरोना जांच कराई जा रही थी। लेकिन ओमीक्रोन की संक्रमण दर पिछले वैरिएंट से अधिक होने की वजह से इस बार सर्विलांस का दायरा बढ़ाया जा रहा है।