यूक्रेन से अब तक उत्तराखण्ड के 86 छात्र लौटे स्वदेश

देहरादून। युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीय छात्रों के स्वदेश आने का सिलसिला लगातार जारी है। गुरूवार तक यूक्रेन से उत्तराखण्ड के 86 छात्र दिल्ली और मुंबई आ चुके हैैं। गुरूवार को देर रात उत्तराखंड के 13 छात्रों की यूक्रेन से स्वदेश वापसी हुई है। एयर इंडिया की फ्रलाइट एआई 1942 से छात्र दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे। जहाज से उतरने के बाद इन छात्रें ने राहत की सांस ली। बुधवार की देर रात और गुरूवार तक लगभग 45 स्टूडेंट यूक्रेन से भारत लौटे। दिल्ली एयरपोर्ट पर उत्तराखंड सरकार के सचिव वीके सुमन ने इन छात्रें का स्वागत किया। सुमन के साथ यूक्रेन से आने वाले छात्रों के लिए बनाए गए नोडल अफसरों के साथ ही अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। कई छात्र देर रात यूक्रेन से दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे उनमें प्रियंका, देहरादून, मोहम्मद अहमद गौड़, हरिद्वार, निपुल चौधरी हरिद्वार , धैर्यवी चौहान, उधम सिंह नगर , शिवांक कुमार, देहरादून और शिवानी नेगी, पौड़ी गढ़वाल शामिल हैं। ये सभी 6 छात्र फ्लाईट संख्या एआई1942 से स्वदेश लौटे। इसके साथ ही उधम सिंह नगर की मनदीप कौर, देहरादून जिले के चंदन प्रीत गौर, हरिद्वार जिले की स्वाति रतूड़ी, उधम सिंह नगर के अर्श मलिक और पौड़ी जिले के जयेश रावत यूक्रेन से वापस भारत लौटे हैं। वहीं इसके साथ ही काशीपुर के दो भाई बहन भी यूक्रेन से स्वदेश लौटे हैं। अहमद शम्स और उनकी बहन मरियम अंसारी यूक्रेन से सकुशल भारत लौट आए हैं। दोनों भाई बहन हंगरी के रास्ते इंडियन एयरफोर्स के विमान से गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरे। इन्हें लेने उनके माता-पिता भी दिल्ली पहुंचे। अहमद शम्स यूक्रेन की राजधानी कीव में तथा उनकी बहन मरियम अंसारी विनिसिया शहर में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर  यूक्रेन के उत्तराखण्ड के छात्र इदरीस ऊधमसिंह नगर, मनीष टिहरी गढ़वाल, आफताब व मंथन हरिद्वार लौटे हैं। ये यूक्रेन से इंडिगो की फ्रलाईट संख्या 6ई-12 से गुरूवार की सुबह 8.30 बजे उतरे। दिल्ली में उतरे उत्तराखण्ड के सभी छात्रों का अपर स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा, मुख्य प्रबंधन अधिकारी रंजन मिश्रा, अमर बिष्ठ, दीपक चमोली और मनोज जोशी ने स्वागत किया। अब तक 86 छात्र दिल्ली और चार मुंबई एयरपोर्ट उतरे हैं। देहरादून निवासी राहुल मिश्रा भी यूक्रेन से वापस दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे, जिनकी स्थानिक आयुक्त उत्तराखण्ड वीवीआरसी पुरूषोत्म ने अगवानी की।

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