नैनीताल। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि) ने शुक्रवार को डी.बी.एस परिसर में आयोजित कुमाऊं विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि/उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत भी मौजूद रहे। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल और उच्च शिक्षा मंत्री ने शैक्षिक सत्र 2019-20 एवं 2020-21 के सामान्य एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के स्नातक एवं परास्नातक स्तर के कुल 58,640 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की। समारोह में जहां 410 विद्यार्थियों को पी.एच.डी की उपाधि प्रदान की गई वहीं स्नातक एवं परास्नातक कक्षाओं में उच्चतम अंक प्राप्त करने वाले 115 विद्यार्थियों को मेडल एवं 5 विद्यार्थियों को नगद पुरस्कार दिए गए। इसके साथ ही डा. सूरज सिंह को संस्कृत व डॉ.विनय कांडपाल को प्रबंधन में डी.लिट की उपाधि और डॉ. चन्द्रशेखर को वनस्पति विज्ञान में डीएस-सी की उपाधि दी गई। दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने सभी उपाधि धारकों एवं मेडल धारकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का सही उपयोग तभी संभव है जब वह जानकारी ‘लैब टू लैण्ड’ यानी प्रयोगशालाओं से खेतों तक और ‘क्लासरूम टू विलेज’ यानी कक्षाओं से गांव तक पहुंचे। राज्यपाल ने कहा कि आज बेहद हर्ष का विषय है कि 120 में से 95 गोल्ड मेडल बेटियों ने प्राप्त किए हैं जो यह साबित करती है कि वे किसी से कम नहीं हैं, इससे यह पता चलता है कि बेटियां कितनी विशिष्ट क्षमताओं से युक्त हैं। दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो.एन.के.जोशी ने विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा के साथ-साथ खेल के क्षेत्र और फैकेल्टी व एन.सी.सी की उपलब्धियों का प्रस्तुतीकरण किया। कुलसचिव दिनेश चन्द्रा ने उपस्थित लोगों का धन्यवाद व्यक्त किया। इस समारोह में प्रथम महिला गुरमीत कौर, विधायक सरिता आर्य, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पंकज भट्ट, डीबीएस परिसर के निदेशक प्रो.एल.एम.जोशी सहित कार्यपरिषद् व विद्यापरिषद् के सदस्य, डिग्री व मेडल प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
इसी वर्ष प्रदेश में लागू की जा रही नई शिक्षा नीतिःडॉ. धन सिंह
नैनीताल। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री व विशिष्ठ अतिथि के तौर पर समारोह में मौजूद डॉ.धन सिंह रावत ने मेडल और उपाधि धारकों को बधाई दी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश में इसी वर्ष नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है जिसमें वेद, ज्योतिष, वैदिक गणित, उत्तराखण्ड का इतिहास, जसूली देवी का इतिहास सहित क्षेत्रीय भाषाओं के पाठ्यक्रम सम्मिलित किया जायेगा। उच्च शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालय के लिए 10 हजार नई किताबें देने की घोषणा की। साथ ही अवस्थापना से संबंधित जो भी कमियां हैं उन्हें दूर करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को गुणवत्तापरक शिक्षा मिले इस ओर हर संभव प्रयास किये जायेंगे।