देहरादून। उत्तराखंड सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा है कि सरकार को पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे के वेतन विसंगति समिति के अध्यक्ष का दायित्व ग्रहण करने या न करने के संबंध में स्पष्टीकरण देना चाहिए। कहा कि विभिन्न समाचार पत्रों व सोशल मीडिया के माध्यम से श्री पांडेय के कार्यभार ग्रहण न करने संबंधी खबरें आ रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से फिर अनुरोध किया है की कोई समिति बनाने के बजाए मुख्य सचिव स्तर पर समस्या का हल खोजना चाहिए। समिति कभी भी कर्मचारी हित में फैसला जल्दी नहीं करती।
कहा कि कहीं न कहीं मुख्यमंत्री के समक्ष सचिवालय संघ व प्रदेश के अन्य कार्मिक सेवा संघो द्वारा कार्मिको के हित में दर्ज किये गए विरोध का ही असर है। संघ अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि सचिवालय संघ की ओर से मुख्यमंत्री से पुनः अनुरोध व मांग कि है कि कार्मिक वर्ग के व्यापक सेवा हित को देखते हुए इस प्रकार की सभी समितियों को वापस लेकर पूर्व से स्थापित व्यवस्था के अन्तर्गत वेतन विसंगति के सभी मामले मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन के स्तर पर ही एक नियत अवधि में निस्तारित कराने की व्यवस्था अमल मे लाई जाय। इससे कार्मिको की अन्य जायज मांगों जैसे गोल्डन कार्ड को सीजीएचएस के अर्न्तगत किये जाने, एम0ए0सी0पी0 के स्थान पर एसीपी की 10, 16, 26 की पुरानी व्यवस्था, कार्मिक विभाग की शिथिलीकरण नियमावली 2010 को पुनः लागू कराने, पुरानी पेंशन बहाली पर राज्य सरकार का संकल्प पारित कराकर केंद्र सरकार को भेजे जाने आदि पर वित्त, कार्मिक व सम्बन्धित विभाग के सेवारत आला अधिकारियों को ही उत्तरदायी बनाया जाए। कहा कि उनसे ही अपेक्षित कार्य लेते हुये कार्मिक वर्ग के ऐसे सभी मुद्दो को निस्तारित कराने की व्यवस्था अमल में लाया जाना ज्यादा अच्छा और अनुकूल होगा।
संघ अध्यक्ष श्री जोशी ने कहा कि
कार्मिक वर्ग को सदैव यह चिन्ता रहती है कि उनकी समस्याओं पर बनाई जाने वाली कोई भी समिति कभी भी उनके सेवा हितों के अनुकूल कार्य नही करेगी। ऐसी समितियाॅ सिर्फ अपना कार्यकाल ही विस्तारित करने का काम करती आई हैं। कार्मिकों के मामले कभी निस्तारित न होकर अधर में ही लटकाये जाते रहे हैं।