विभिन्न संगठनों ने जन आक्रोश रैली निकालकर किया प्रदर्शन

बस्तियों को तोड़ने का किया विरोध, मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन

देहरादून। विभिन्न संगठनों एवं राजनैतिक दलों तथा सामाजिक संगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने आज गांधी पार्क में एकत्र होकर सभा कि तथा एक स्वर में सरकार के द्वारा बस्तियों को तोड़ने का विरोध किया तथ सरकार को चेतावनी दि कि आने वाले दिनों में इस सवाल पर बृहद आन्दोलन छेड़ा जायेगा। वक्ताओं ने एक स्वर पर कहा है कि देहरादून में चल रहे ध्वस्तीकरण अभियान गैर कानूनी और जन विरोधी है। सरकार कानून के प्रावधानों और अपने ही वादों का घोर उलंघन कर लोगों को उजाड़ रही है। हरीत प्राधिकरण के आदेश के बारे में गलत धारणा फैला कर अनधिकृत कर्मचारी बिना कोई कानूनी प्रक्रिया करते हुए निर्णय ले रहे हैं और लोगों को बेदखल कर रहे है, जो गैर कानूनी अपराध है । वक्ताओं ने कहा है कि कुछ ही महीनों में 2018 का कानून भी खतम हो रहा है जिसके बाद सारे बस्ती में रहने वाले लोगों को उजाड़ा जा सकता है चाहे वे कभी भी बसे हो । सरकार के लिए एक ही सवाल हैरू मजदूरों को न कोई कोठी मिलने वाला है और न ही कोई फ्लैटय तो जब सरकार आठ साल में नियमितीकरण, पुनर्वास और घर के लिए कोई भी कदम नहीं उठायी है, लोग कहाँ रहे? इस‌ पर सरकार जनता को जवाब दे।

आज लगभग 11 बजे इन मांगों और नारों के साथ आज देहरादून में सैकड़ो कि संख्या में लोगों ने सचिवालय कूच कर सरकार का ध्वस्तीकरण अभियान पर जमकर विरोध किया। साथ साथ में जनता ने मांग उठायी कि सरकार कोर्ट का आदेश का बहाना न बनाये और ध्वस्तीकरण अभियान पर रोक लगाया जायेय बिना पुनर्वास किसी को बेघर नहीं किया जायेगा, इस पर कानून लाया जाये कानूनी प्रावधान हो कि जब तक नियमितीकरण और पुनर्वास पूरा नहीं होता, तब तक बेदखली पर भी रोक होय दिल्ली सरकार की पुनर्वास नीति को उत्तराखंड में भी लागू किया जायेय राज्य के शहरों में उचित संख्या के वेंडिंग जोन को घोषित किया जायेय पर्वतीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में वन अधिकार कानून पर अमल युद्धस्तर पर किया जाये द्य बड़े बिल्डरों एवं सरकारी विभागों के अतिक्रमण पर पहले कार्यवाही की जाये और बड़ी कंपनियों को सब्सिडी देने की प्रक्रिया को बंद किया जायेय 12 घंटे का काम करने के कानून, चार नए श्रम संहिता और अन्य मजदूर विरोधी नीतियों को रद्द किया जायेय और न्यूनतम वेतन को 26,000 किया जाये।

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