अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार 2.0 की शुरुआत हो चुकी है। 20 साल बाद सत्ता में लौटे तालिबानियों ने मंत्रालय का बंटवारा तो कर लिया, लेकिन प्रधानमंत्री के नाम पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकियों की लिस्ट में शामिल है। इस कैबिनेट में 4 ऐसे आतंकी हैं जो अमेरिका की सबसे कुख्यात जेल ग्वांतनामो बे में कई साल जेल की सजा काट चुके हैं। ये तालिबान की अंतरिम सरकार है जिसकी काबिलियत ढूंढने की जद्दोजहद की जाए तो सीवी में आतंकी का ठप्पा सबसे ऊपर चस्पा है। वो भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वेरिफाइड मुहर के साथ। अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य की बागडोर अब जिस तालिबान के हाथ में है उसका खुद का इतिहास आतंक की कोठरी में गुजरा है। मुल्ला हसन अखुंद (प्रधानमंत्री)- सबसे पहले नज़र डालते हैं अफ़ग़ानिस्तान के नए प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद के प्रोफ़ाइल पर। अखुंद को संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंधित आतंकी घोषित किया हुआ है। अखुंद की पहचान कट्टर धार्मिक नेता की है। वामियान में बुद्ध की मूर्तियां तुड़वाने में शामिल रह चुका है। पाकिस्तान के मदरसों में पढ़ाई कर चुका है। पिछली तालिबानी सरकार में डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री रह चुका है। नयी इस्लामिक सरकार’ में संगठन की निर्णय लेने वाली शक्तिशाली इकाई ‘रहबरी शूरा’ या क्वेटा शूरा के का प्रमुख भी मुल्ला हसन अखुंद ही होगा। मुल्ला बरादर (उपप्रधानमंत्री)- दोहा समझौते से लेकर दुनियाभर के मंचों पर तालिबान के चेहरा बन चुके मुल्ला बरादर को सरकार में जगह मिली है लेकिन साथ में ही पर भी कतर दिए गए हैं। मुल्ला बरादर के नाम की चर्चा प्रधानमंत्री के रूप में थी लेकिन नई तालिबानी सरकार में उसे डिप्टी पीएम का पद मिला है।