देहरादून। आदिपुरुष के आवरण और आचरण दोनों में मिलावट की गई है। हमारे ग्रंथों में प्रभु श्रीराम, मां सीता की वेशभूषा के बारे में एकदम स्पष्ट है कि उनका आवरण व आचरण कैसा था। सेंसर बोर्ड की कैंची सिर्फ हिन्दू धर्म पर ही चलती है, बाकी धर्मों की बात पर क्या होता है तुरंत आपत्ति दर्ज हो जाती है। उसे कैंसिल कर दिया जाता है। ये विचित्र बात है। सेंसर बोर्ड के पैनल में साधु-संतों का एक सलाहकार नियुक्त होना चाहिए।
सेमवाल ने कहा कि ये घोर आश्चर्य का विषय है कि भारतीय फिल्मकार पैसा कमाने के लिए फिल्में बना रहे हैं। फिल्म आदिपुरुष में जगतजननी मां सीता को अलग ही तरीके से दर्शाया गया है। इससे जो हिन्दू फिल्म देखेगा उसकी भावनाएं आहत होंगी। भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, मां सीता शालीनता भक्ति का मर्यादा का स्वरूप हैं। उनके इतने पवित्र चरित्र को इस प्रकार से अश्लीलता के साथ परोसा जाएगा तो हमारी धर्म-संस्कृति का क्या होगा। फिल्मकार इस प्रकार का दुस्साहस करना बंद कर दें। यह बहुत बड़ा षड्यंत्र है।
सेमवालने कह यह फिल्म हमारे धर्म और आस्था पर प्रहार है। उन्होंने युवाओं से इस फिल्म का बायकॉट करने की अपील की। उन्होंने कहा कि खासतौर से बच्चों को ऐसी पिक्चर से दूर रखा जाए। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से फिल्म का बायकॉट करें ताकि ऐसे फिल्म निर्माताओं के लिए भी मैसेज जाए कि हिंदुस्तान में हमारे धर्म, संस्कृति का कुप्रचार करने वाली फिल्मों का हिन्दुस्तान की जनता मुंहतोड़ जबाव देती है।