चमोली। मानसूनी सीजन में उत्तराखण्ड में हो रहे भूस्खलन ने जनजीवन अस्तव्यस्त करके रखा दिया है। कई क्षेत्रों में तो लोग खतरे के साए में अपनी जीवन व्यतीत करने को मजबूर है। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भूस्खलन से सर्वाधिक प्रभावित है। चमोली जिले में गौचर से बदरीनाथ धाम तक यह राजमार्ग 131 किमी लंबा है। संपूर्ण मार्ग पर सात भूस्खलन क्षेत्र परेशानी खड़ी कर रहे हैं। इनमें तीन (छिनका, पीपलकोटी और कमेड़ा) नए हैं, जो इसी वर्ष चारधाम आलवेदर रोड निर्माण के दौरान सक्रिय हुए।
जबकि, पिछले कई वर्षों से सक्रिय लामबगड़ भूस्खलन क्षेत्र के उपचार की कार्ययोजना तैयार की जा रही है और पागलनाला व कंचनगंगा में पुल का निर्माण होना है। इस राजमार्ग का करीब 25 किमी हिस्सा रुद्रप्रयाग जिले में भी पड़ता है। यहां सिरोबगड़ में वर्षा नहीं होने पर भी पहाड़ी से पत्थर गिरते रहते हैं। इसके समाधान के लिए 300 करोड़ रुपये से बाईपास बन रहा है, जिसका 40 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।
उत्तरकाशी में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर डाबरकोट चुनौती बना हुआ है। यमुनोत्री धाम से 28 किमी पहले 600 मीटर लंबा यह भूस्खलन क्षेत्र वर्ष 2017 से सक्रिय है। यहां पर राजमार्ग 21 जुलाई की रात से अवरुद्ध है। वैकल्पिक मार्ग के निर्माण में ढाई करोड़ से अधिक धनराशि खर्च हो चुकी है, मगर अब तक वह पूरा नहीं हो पाया। रुद्रप्रयाग में 76 किमी लंबे गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर तरसाली भूस्खलन क्षेत्र बीते 20 वर्ष से परेशानी बना हुआ है।