देहरादून। प्रात: नितनेम के बाद हज़ूरी रागी भाई नरेन्द्र सिंह ने आसा दी वार का शब्द “पहिला मरण कबूल जीवण की छडि आस” व “मन रे कउन कुमत तै लीनी” का गायन किया, गुरु तेग बहादुर साहिब जी के श्लोको का पाठ संगत के साथ मिलकर किया गया।
कार्यक्रम में विशेष रूप से गुरुद्वारा साहिब जी के हैंड ग्रंथी ज्ञानी शमशेर सिंह ने गुरु साहिब जी के प्यारे सिख भाई मती दास जी, भाई सती दास जी, भाई दिआला के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु साहिब जी को समर्पित रहकर सीखी को कमाते हुए शहादत दी व गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने हिंदू धर्म के धार्मिक जिन्न व हिंदु धर्म की रक्षा करते हुए मानवधिकार के सच्चे रक्षक बनकर दिल्ली चांदनी चौक में अपना शीश कटवा कर शहादत दी सभा को अपनी मर्जी से धर्म अपनाना व धर्म में पके रहने का संदेश दिया। हैंड ग्रंथी भाई शमशेर सिंह ने सरबत के भले के लिए अरदास की, प्रधान, गुरबख्श सिंह राजन व जनरल सेक्रेटरी गुलज़ार सिंह द्वारा संगतों के साथ मिलकर गुरु साहिब जी व गुरु सिखों की शहादत को प्रणाम करते हुए संगत को विनती करी की चल रहे शहीदी दिनों में कोई भी मिष्टान्न प्रशाद न लाएं तथा लंगर में भी मिष्टान्न न बनाएं । मंच का संचालन सेवा सिंह मठारु ने किया। कार्यक्रम के पश्चात संगत ने गुरु का लंगर व प्रशाद ग्रहण किया,
इस अवसर पर सरदार गुरबख्श सिंह जी राजन अध्यक्ष, गुलज़ार सिंह महासचिव, चरणजीत सिंह उपाध्यक्ष,सेवा सिंह मठारु,गुरप्रीत सिंह जौली, सतनाम सिंह जी, विजय पाल सिंह,तिलक राज कालरा, दविंदर सिंह सहदेव,राजिंदर सिंह राजा, गुरनाम सिंह, अविनाश सिंह, अरविंदर सिंह आदि उपस्थित रहे।