कोर्ट ने लगाया एक लाख जुर्माना भी लगा
कोर्ट ने मना जघन्य अपराध
सौतेली गर्भवती बहन की भी कर दी थी हत्या
देहरादून। राजधानी देहरादून के आदर्श नगर में अपनी गर्भवती सौतेली बहन, उसकी 5 साल की बच्ची और माता-पिता सहित चार लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतारने वाले हरमीत सिंह को देहरादून एडीजे फिफिथ कोर्ट आशुतोष मिश्रा की अदालत ने धारा 302 में आज फांसी की सजा सुनाई है। इसके साथ ही एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। सोमवार को कोर्ट ने हरमीत सिंह को दोषी करार दिया था। घटना के समय हरमीत की सौतेली बहन हरजीत के पेट में पल रहे 8 महीने के गर्भ की मौत को भी हत्या माना गया था।
इससे पहले मामले में आज सुबह 11 बजे से 12 बजे तक सजा के लिए दोनों ही पक्षों के अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट में अंतिम पैरवी की गई। जिरह पूरी होने के बाद दोपहर बाद हत्याकांड में फांसी की सजा का ऐलान किया गया। पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्मदत्त झा द्वारा इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मानते हुए कोर्ट से फांसी की ही मांग की थी।
परिवार के चार लोगों की निर्मम हत्या मामले में फांसी की सजा की मांग करते हुए बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्मदत्त झा ने कोर्ट को इस बात से अवगत कराया कि इसी निर्मम हत्याकांड की तर्ज पर बिहार और पंजाब में भी प्रॉपर्टी विवाद के चलते निहत्थे असहाय परिवार के पांच लोगों को परिवार के बेटे द्वारा ही मौत के घाट उतारा गया था। दोनों ही केस में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आरोपी को दोषी करार कर फांसी की सजा दी गई थी।
दीपावली की रात हुआ था खूनी खेल
उल्लेखनीय है कि 23 अक्टूबर 2014 में दीपावली की रात देहरादून के आदर्श नगर में स्थित आवास में हरमीत सिंह ने पिता जय सिंह, माता कुलवंत कौर, सौतेली गर्भवती बहन हरजीत कौर उर्फ हनी और अपनी 5 साल की भांजी सुखमणि को चाकू से गोदकर निर्मम हत्या प्रॉपर्टी विवाद को लेकर गई थी। इस वारदात में भांजा कंवलजीत चाकू से घायल होने के बावजूद बेड के नीचे छिप जाने की वजह से बच गया था। वहीं, घटना के समय आरोपी की सौतेली बहन हरजीत सिंह उर्फ हनी के पेट में पल रहे 8 महीने के गर्भ की भी हत्या की गई थी।वहीं, हरमीत सिंह को फांसी की सजा दिए जाने को लेकर पीड़ित पक्ष कोर्ट के फैसले से पूरी तरह से संतुष्ट हैं। परिवार ने कहा कि जिस तरह से मासूम बच्ची, गर्भवती बहन और माता-पिता की चाकू को गोदकर जघन्य हत्या हुई थी, वो मंजर आज भी रोंगटे खड़े कर देता है। ऐसे कृत्य के लिए ये सजा भी कम है।