- सरकार ने व्यापक जनहित को भी ध्यान में रखा, देवस्थानम बोर्ड भंग करने की घोषणा के बाद पत्रकारों से हुए रूबरू
देहरादून (Uttarakhand)। उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार ने अपने ही एक फैसले को वापस ले लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय बनाए गये देवस्थानम बोर्ड को भंग धामी सरकार ने वापस लेने का ऐलान किया है। ( Chief Ministerr Pushkar Singh Dhami) मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने आवास में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पंड़ा-पुरोहित व हक-हकूकधारी समाज की मांग को देखते हुए देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का फैसला लिया गया है। अब सभी मंदिरों से जुड़े लोगों से परामर्श के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। ( Chief Ministerr Pushkar Singh Dhami)मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए उत्तराखण्ड देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड अधिनियम को वापस लिये जाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि इस वर्ष 4 जुलाई को प्रदेश के मुख्य सेवक के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात् देवस्थानम बोर्ड के सम्बन्ध में चारधाम से जुडे तीर्थ पुरोहित, रावल, पंडा समाज, हक हकूधारियों एवं जनप्रतिनिधियों के स्तर पर अलग अलग प्रकार की प्रतिक्रिया सामने आयी। इस सम्बन्ध में सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद राज्य सरकार की ओर से पूर्व सांसद मनोहर कान्त ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया, समिति की ओर से तीन माह में अपनी अन्तरिम रिपोर्ट राज्य सरकार को उपलब्ध कराने के साथ ही अन्तिम प्रत्यावेदन भी राज्य सरकार को उपलब्ध कराया गया। राज्य सरकार की ओर मंत्रिमण्डलीय उपसमिति का भी इसके लिये गठन किया गया। उच्च स्तरीय समिति एवं मंत्रिमण्डलीय उप समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद राज्य सरकार की ओर से इस सम्बन्ध में सम्यक विचारोपरान्त देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड अधिनियम को वापस लेने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार चार धामो सहित अन्य स्थानों में सभी सम्बन्धित लोगों से परामर्श कर इन स्थानों पर बेहतर व्यवस्था सम्पादित हो सके इसके प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि के साथ ही देश की सांस्कृतिक व आध्यात्मिक राजधानी के रूप में अपनी पहचान बनाये इसके लिये राज्य सरकार सन्त समाज का भी सहयोग लेगी। उन्होंने कहा कि इस दिशा में राज्य की आर्थिकी का भी ध्यान रखना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वीजन के अनुरूप उत्तराखण्ड को 2025 तक देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करना हमारा उद्देश्य है। उन्होंने अधिनियम वापस लिये जाने की घोषणा के साथ चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के साथ ही अन्य सम्बन्धित लोगों से अपना आन्दोलन वापस लेने का भी अनुरोध किया। उन्होंने सभी से चार धाम सहित अन्य तीर्थ स्थलों पर बेहतर व्यवस्थायें सुनिश्चित किये जाने के लिये सहयोग की भी अपेक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि देशकाल परिस्थिति के अनुसार सभी सम्बन्धित विषयों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी के सहयोग से इन स्थानों पर बेहतर व्यवस्थायें बनाने का हमारा प्रयास रहेगा। पत्रकार वार्ता में विधायक उमेश शर्मा काऊ व भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष पुनीत मित्तल आदि मौजूद रहे।