अल्मोड़ा। बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर आयोजित अपने 182 वें ऑनलाइन कार्यक्रम में प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ का वाचन किया गया। कहानी का वाचन गाजियाबाद के सेवानिवृत्त शिक्षक कहानीकार रजनीकांत शुक्ल ने बहुत ही बेहतरीन अंदाज में किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कहानीकार तथा वर्तमान साहित्य की पूर्व संपादक डॉ. नमिता सिंह ने प्रेमचंद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि कहानी सम्राट प्रेमचंद की गिनती विश्व स्तर के प्रमुख साहित्यकारों में होती है। ईदगाह को कालजयी रचना बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रेमचंद ने बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए जहां कई कहानियां लिखी हैं वहीं ईदगाह कहानी हमें दूसरे समाज व धर्म संप्रदाय के लोगों को जानने व समझने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद जयंती पर जहां देश-विदेश के विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं में बड़े साहित्यकार तथा प्राध्यापक उनकी कहानियों पर चर्चा कर रहे हैं वहीं यह सुखद पक्ष है कि बालप्रहरी से जुड़े समूचे देश के बच्चे प्रेमचंद की कहानियों पर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य हमारी जिंदगी का हिस्सा है। इसलिए अभिभावकों को ये नहीं सोचना चाहिए कि कहानी व कविताएं पढ़ने से बच्चों के समय की बरबादी हो रही है।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय रूद्रपुर के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेय ने कहा कि साहित्य का उद्देश्य कमजोर को ताकत देना है। साहित्य का उद्देश्य जहां पाठकों का मनोरंजन करना हो सकता है वहीं कहीं न कहीं पाठक के मन में मानवीय मूल्यों तथा सामाजिक सरोकारों का बीज बोना भी होता है। उन्होंने कहानी पर बच्चों द्वारा रखी गई टिप्पणी पर अपनी प्रतिकिया व्यक्त करते हुए कहा कि हम बड़े लोग कभी-कभी निराश होते हैं कि आने वाली पीढ़ी साहित्य से दूर होते जा रही है। परंतु इस कहानी पर बच्चों की समझ, सोच तथा टिप्पणी सुनकर लगता है कि यदि बच्चों को अवसर दिया जाए तो उन्हें साहित्य की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने बच्चों से पाठ्यक्रम के अतिरिक्त बालसाहित्य की पुस्तकें तथा पत्रिकाएं पढ़ने की अपील की।
उत्तराखंड शिक्षा विभाग के उप निदेशक आकाश सारस्वत ने कहा कि कहानियां मनोरंजन के साथ ही हमें एक सही दिशा देने का काम भी करती हैं। उन्होंने बच्चों से कहा कि हमें अपने लक्ष्य का निर्धारण करते हुए लक्ष्य प्राप्ति के लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाना होगा। उन्होंने बच्चों से कहा हमें अपनी करनी तथा कथनी में अंतर न करते हुए स्व विचार कर रचनात्मक कार्यो के लिए आगे आना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में डायट खंडवा मध्य प्रदेश से जुड़े डॉ. अशोककुमार नेगी ने आयोजक मंडल की ओर से सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि त्वरित भाषण, कहानी, कविता तथा अन्य साहित्यिक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को अभिव्यक्ति का अवसर देने का प्रयास किया जा रहा है। प्रारंभ में बालप्रहरी के संपादक तथा बालसाहित्य संस्थान के सचिव उदय किरौला ने अतिथियों का परिचय कराते हुए सभी का स्वागत किया।
कक्षा 12 के छात्र सुदर्शन सोराड़ी ने जहां कहानियों के तत्वों पर बातचीत करते ईदगाह कहानी की समीक्षा की वहीं उत्कर्ष धपोला, अक्षरा भट्ट, प्रियांशी चौधरी, प्रीति महरा, नीलेश भट्ट,, दीक्षा पांडे, दीक्षित पपने, भूमिका जोशी, सुहानी जोशी, सुहानी कुमारी, हार्दिक मिश्रा, आरूष रौतेला, उत्कर्ष सती, आशिमा शर्मा, नव्या ,काव्यांजलि, पाखी जैन, चित्रांशी लोहनी, मीमांसा भट्ट, आयुष ,दिव्यांशु, निहारिका शर्मा आदि ने कहानी पर अपनी प्रतिकिया दी। इस अवसर पर अमेरिका से श्रीमती मोहिनी बाजपेयी, भारत ज्ञान विज्ञान समिति उत्तराखंड के अघ्यक्ष विजय भट्ट, कहानीकार महावीर रवांल्टा,डॉ. दिनेश पाठक ‘शशि’, हेमंत चौकियाल, श्यामपलट पांडेय, डॉ. दीपक मेहता, प्रेम राजावत, डॉ. जगदीश कुमुद, सरस्वती उनियाल, कृष्ण सैनी, ओम सपरा, शशि ओझा, ओमप्रकाश हर्बोला, डॉ. गीता नौटियाल, सरोज गुप्ता, नीलम शर्मा, गंगा आर्या, किरन उपाध्याय, प्रकाश तातेड़, खुशालसिंह खनी आदि लगभग 5 दर्जन साहित्यकार, अभिभावक बच्चों ने ऑनलाइन कहानी सुनी। अंत में अरूणा साह ने बच्चों की ओर से अतिथियों का आभार व्यक्त किया।