- मुख्य नगर आयुक्त को पेश होने का आदेश
- अधिवक्ता चंद्रशेखर जोशी ने दायर की थी याचिका
- एससी और एचसी के निर्देशों का नहीं हुआ पालन
- सड़कों से आवारा पशुओं को हटाने की मांग
- नगर निगम हल्द्वानी ने स्पष्ट जवाब नहीं किया पेश
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी शहर सहित प्रदेश के अन्य राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर आवारा पशुओं को छोड़े जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने मुख्य नगर आयुक्त हल्द्वानी को एक दिसंबर को कोर्ट में पेश होने को कहा है।
कोर्ट ने यह बताने को कहा है कि आपने इस समस्या का समाधान करने के लिए क्या निर्णय लिए हैं। बीते 22 नवंबर को कोर्ट ने नगर निगम हल्द्वानी से पूछा था कि जनहित याचिका में उठाये गए बिंदुओं पर अगली तिथि तक अपना स्पष्ट जवाब पेश करें, लेकिन आज नगर निगम की तरफ से स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। जिस पर कोर्ट ने मुख्य नगर आयुक्त को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं। मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी अधिवक्ता डॉक्टर चंद्रशेखर जोशी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हल्द्वानी शहर सहित राज्य की व्यस्ततम सड़कों में आवारा गाय और बैलों के कारण कई दुर्घटनाएं हो रही हैं। इनके आपस में लड़ने से एक युवक की सड़क दुर्घटना में मौत तक हो गई। यहीं नहीं इन पशुओं के कारण स्कूली बच्चों को स्कूल जाने में देरी हो रही है।
कई बार इनके आपसी झगड़े की वजह से व्यस्ततम सड़कों पर कई घंटों तक जाम लग जाता है, जबकि आवारा पशुओं को सड़कों पर छोड़े जाने के मामले में उच्च न्यायालय सहित सर्वाेच्च न्यायालय ने संबंधित निकायों को कई बार दिशा निर्देश जारी किए हैं, लेकिन अभी तक संबंधित निकायों द्वारा उन निदेशों का अनुपालन नहीं किया गया। जिसकी वजह से कई लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि राज्य की सड़कों से आवारा पशुओं को हटाया जाए। साथ ही यह भी शिकायत की गई कि संबंधित विभाग शिकायत करने पर उनके क्षेत्र से आवारा पशुओं को उठाकर सेल्टर में डालने की बजाय दूसरे क्षेत्र में भेज रहा है।