नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कालाढूंगी से बाजपुर के बीच किए जा रहे अवैध पेड़ों के कटान के मामले में स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने पूर्व के आदेश पर आज सेक्रेटरी वन कोर्ट में पेश नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त की।
जानकारी के मुताबिक, बृहस्पतिवार सुबह उन्हें कोर्ट में पेश होना था, लेकिन वे पेश नहीं हुए। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें शाम 4 बजे कोर्ट में पेश होने को कहा। इसके बाद शाम चार बजे वे कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए। उनके द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश की अनुपालन आख्या से कोर्ट को अवगत कराया। परंतु कोर्ट उससे संतुष्ट नहीं हुई। जिसपर कोर्ट ने डीएफओ तराई और डीएफओ रामनगर से जवाब पेश करने को कहा है। साथ में कोर्ट ने सेक्रेटरी वन और दोनों डीएफओ से कोर्ट में 28 दिसंबर को कोर्ट में पेश होने को कहा है।पूर्व में कोर्ट ने सेक्रेटरी को आदेश दिया कि 2006 का केंद्र सरकार का वनाधिकार अधिनियम में किन लोगों को इसका लाभ दिया जा सकता है या किनको नहीं। इसमें चार सप्ताह में अपना शपथपत्र पेश करें। परंतु अभी तक इसपर उनके द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया। उनके द्वारा पेश किए गए शपथपत्र में जितने लोगों का लकड़ी चुगान करने में चालान किया गया, केवल उसी का जिक्र किया गया।
मामले के अनुसार कोर्ट के न्यायमूर्ति ने दिल्ली जाते वक्त उस क्षेत्र में हो रहे पेड़ों के अवैध कटान का स्वयं संज्ञान लिया। जिसपर मामले की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए संबंधित क्षेत्र के डीएफओ और अन्य अधिकारियों को कोर्ट में तलब किया था। कोर्ट ने डीएफओ से पूछा था कि इन लोगों को लकड़ी चुगान के लिए किस नियम के तहत अधिकार दिया गया। अभी तक कितने लोगों का चालान किया गया। इस संबंध में अपना ओरिजिनल रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करें। परंतु विभाग ओरिजिनल रिकॉर्ड पेश करने में असफल रहा।