- देहरादून में निरोगस्ट्रीट द्वारा आयोजित कन्टिन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन (सतत चिकित्सा शिक्षा)
देहरादून-: कोविड महामारी ने वर्तमान स्वास्थ्य प्रणाली के सामने नया संकट पैदा कर दिया है जिसपर गहन चिंतन बेहद आवश्यक हो गया है। भविष्य के हेल्थकेयर सिस्टम के परिप्रेक्ष्य में ऐसी महामारियों से निपटने के तरीकों पर चिकित्सकीय विमर्श आज की आवश्यकता बन गई है ताकि ऐसी किसी और चुनौती का सामना करने के लिए हमारा स्वास्थ्य प्रणाली तैयार हो सके। देहरादून में एक ऐसे ही कार्यक्रम का आयोजन निरोगस्ट्रीट द्वारा किया गया जिसमें इस बात पर परिचर्चा हुई कि आधुनिक दुनिया की बिगड़ती पर्यावरणीय परिस्थितियों में स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद की प्राचीन प्रक्रियाएं किस तरह से कारगर सिद्ध हो सकती है। इस संगोष्ठी को व्यापक सफलता मिली जिसमें शहर/राज्य के 100 चिकित्सकों ने अपनी सहभागिता दर्ज कराई। प्रौद्योगिकी के साथ सक्षम आयुर्वेद ग्लोबल हेल्थकेयर के भविष्य को बदल सकता है। कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के समन्वयक और आयुष अस्पताल और वेलनेस सेंटर के निदेशक डॉ. जेएन नौटियाल ने डॉक्टरों और चिकित्सा बिरादरी के सदस्यों को संबोधित किया। डॉ. जेएन नौटियाल ने कहा कि हमारी सरकार विभिन्न बीमारियों को रोकने और ठीक करने में आयुर्वेद द्वारा प्रदान की गई अपार संभावनाओं पर लगातार जोर दे रही है। उत्तराखंड में औषधीय पौधों की समृद्ध विरासत है जो दुनिया भर में अपने गुणों के लिए जाने जाते हैं। वर्तमान महामारी की स्थिति ने समग्र स्वास्थ्य की अवधारणा को स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सबसे आगे ला दिया है। आयुर्वेद के माध्यम से इस स्वास्थ्य चुनौती का मुकाबला बखूबी किया जा सकता है क्योंकि इस चिकित्सा पद्धति में रोगों से लड़ने और प्राकृतिक घटकों के माध्यम से उसके निवारण की अद्भूत क्षमता निहित है। यही वजह है कि आयुर्वेद को स्वास्थ्य सेवाओं का भविष्य कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। आयुर्वेद उन सभी समस्याओं और कमियों का समाधान है जो वर्तमान स्वास्थ्य प्रणाली को कमजोर बनाती है। आयुर्वेद बिरादरी को पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने और दुनिया भर के रोगियों के लाभ के लिए इसे और अधिक सक्षम बनाने के साथ-साथ नियमित रूप से इस तरह के संगोष्ठियों और परिचर्चा को आयोजित करते रहने की जरूरत है।