देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गृह मंत्रालय के चिंतन शिविर में प्रतिभाग किया। गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित चिंतन शिविर के द्वितीय दिन गृह मंत्रालय द्वारा चार राज्यों को साइबर इश्यू प्रस्तुतिकरण देने हेतु चुना गया। जिसमें उत्तराखण्ड राज्य भी शामिल था। इस क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व, मार्गदर्शन एवं दिशा निर्देशन में उत्तराखण्ड के पुलिस महानिदेशक श्री अशोक कुमार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य पुलिस का प्रतिनिधित्व करते हुए साइबर विषयों का प्रस्तुतिकरण समस्त राज्यों के सामने किया गया।
उनके द्वारा वर्तमान में प्रचलित उत्तराखण्ड के ई-सुरक्षा के मॉडल को विस्तार से बताया गया। उसके उपरान्त उनके द्वारा वर्ष 2021 के पॉवर बैंक घोटाले एवं वर्ष 2022 में फर्जी चाईनीज वेबसाइट के माध्यम से घोटालों में उत्तराखण्ड द्वारा पूरे देशभर में अभियोगों का अनावरण का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया गया। उत्तराखण्ड राज्य द्वारा कुछ अच्छी पहलों पर भी प्रकाश डाला गया। जैसे कि राज्य में साइबर थाने में शून्य अभियोग पंजीकृत करना जिससे कि पीड़ित को तत्काल अभियोग पंजीकरण कर उस पर कार्यवाही करते हुए पीड़ित को न्याय दिलाया जा सके, थानों की दीवारों पर साइबर जागरुकता सन्देश, साइबर बुलेटिन जागरूकता हेतु आदि।
टीम द्वारा साइबर समस्याओं के सम्बन्ध में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये। जैसे कि साइबर अपराध की विवेचना की शक्ति उप निरीक्षक स्तर अधिकारियों को देना जिससे कि विवेचनाओं का समयबद्ध विधिक निस्तारण किया जा सके, आई0टी0 एक्ट कानून को मजबूत करने हेतु सजा का प्रावधान और कठोर किया जाना सम्बन्धी जिससे अभियुक्तगण को शीघ्र जमानत न मिल सके व अपराध की पुर्नावृत्ति न कर सके तथा बढ़ते हुए साइबर अपराधों की चुनौतियों के क्रम में नये साइबर कानून की आवश्यकता लाना। भारत सरकार की पहल 1930 को 112 से जोड़ा गया व उक्त हेल्पलाईन नम्बर को प्रभावी करने हेतु बैंकों एवं इस प्रकार के वित्तीय कम्पनियों को प्रभावी रूप से प्रेरित करने हेतु निर्देश जारी करना। कानून व्यवस्था को बाधित करने हेतु बल्क सन्देशों पर लगाम लगाने हेतु भी कुछ सुझाव प्रस्तुत किये गये।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा वोकल फॉर लोकल मूल मंत्र के उद्देश्य से प्रेरणा लेकर उत्तराखंड राज्य द्वारा द्वितीय हैकॉथान चरण से क्रिप्टो करेंसी डार्क नेट और रोड दुर्घटना रोकने हेतु स्वदेशी समाधान मिलेंगे जिससे देश के अन्य राज्यों की भी मदद होंगी। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर प्रकाशित फर्जी खबर व भड़काऊ पोस्ट पर भी सख्ती से कानून बनाया जाने तथा ऐसी पोस्ट को तत्काल सोशल मीडिया प्लेटफार्म से हटाने की त्वरित प्रक्रिया करने सम्बन्धी सुझाव भी प्रस्तुत किये गये।